मूलभूत अधिकार में शामिल शिक्षा को लेकर बिहार सरकार की सजगता कितनी कारगर है इसे देखना हो तो सुपौल जिले में आइये. जहां, आपको स्कूलों की अनगिनत अचंभित करने वाली तस्वीर देखने के लिए मिलेगी. कुछ स्कूलों में कहीं भवन नहीं है तो कहीं छात्रों की उपस्थिति कम देखी जाती है. कहीं रसोई घर नहीं है तो कहीं शिक्षकों की कमी देखने के लिए मिलेगी. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिल पाएगी ये बात शिक्षा विभाग से बेहतर कोई नहीं जान सकता.
यह मामला त्रिवेणीगंज प्रखंड मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित प्राथमिक विद्यालय मेढिया से संबंधित है. कहते हैं कि, विद्यालय की स्थापना 1952 ई में की गई थी. बच्चों के बेहतर भविष्य को ध्यान में रखकर स्कूल की स्थापना से इलाके के लोगों में खुशी हुई. लेकिन, बीतते समय के साथ ही विद्यालय पुराने इतिहास की तरह बन गया है. जहां 75 वर्ष पूर्व बने विद्यालय के दो कमरों का भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है. ऐसे में कितनी बड़ी घटना घट सकती है, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं, सबसे बड़ी दिक्कत इस बात को लेकर भी है कि टेढ़ा नदी के किनारे बसे स्कूल की आधी जमीन नदी में समा चुकी है. नदी के बहाव से कटाव जारी रहने के कारण स्कूल भवन के नदी में समाने का खतरा भी बना हुआ है.
दो कमरे के इस स्कूल में एक कमरा रसोई में उपयोग किया जा रहा है. शेष बचे एक कमरे में कार्यालय के साथ-साथ बच्चे भी पठन-पाठन करते हैं. मौके पर मौजूद एचएम ने बताया कि, दो कमरे युक्त विद्यालय में 82 छात्र छात्राएं नामांकित है. जिसके बाद विभागीय आदेश से एक नवसृजित विद्यालय वार्ड नं- 7 को भी इसी प्राथमिक विद्यालय मेढिया में शिफ्ट कर दिया गया. जिसमें 77 बच्चे नामांकित हैं. इस तरह कुल 159 बच्चों का भविष्य एक जर्जर कमरे के इर्द-गिर्द घूम रहा है. प्राथमिक विद्यालय मेढिया में 5 और नवसृजित में तीन शिक्षक कार्यरत हैं. इस तरह इस विद्यालय में अभी कुल 8 शिक्षक पदस्थापित हैं. जिससे विभागीय कार्यशैली का अनुमान लगाया जा सकता है.
विद्यालय में खेलने के लिए स्कूल परिसर नहीं है. वहीं, शौचालय के अभाव में बच्चों को अपने घरों की ओर रुख करना पड़ता है. हालांकि, एक शौचालय विद्यालय परिसर में अवस्थित है जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है. विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के मुताबिक छत से टूट कर मलबा गिरने से कई बच्चे चोटिल भी हो चुके हैं. वहीं, खंडहर बन चुके स्कूल के छत से बारिश के महीने में पानी रिसने से उनकी पढ़ाई बाधित होती है. ऐसे में सुनहरे भविष्य की कल्पना बच्चों के साथ अभिवावकों को भी पीड़ा देने लगा है. पूछे जाने पर विद्यालय प्रधान ने बताया कि, भवन की जर्जर हालात को लेकर विभागीय अधिकारियों को लिखित सूचना दी गई है. लेकिन, हालात जस के तस है.