बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति क्या थी और है, यह किसी से भी छुपी नहीं है. ऐसे में बिहार में शिक्षा के स्तर में सुधार आए उसका जिम्मा कड़क आईएएस अधिकारी केके पाठक ने उठाया. इसी वजह से शिक्षा विभाग की कमान जब से केके पाठक को सौंपी गई, तब से शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों से लेकर शिक्षकों और यहां तक के बच्चों को भी उनके फरमानों और आदेशों का पालन करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, केके पाठक को उनके आदेशों का पालन ना करने की शिकायत मिलती है तो वे वैसे अधिकारी और शिक्षक पर एक्शन लेने से भी नहीं चूंकते हैं. कई बार केके पाठक को उनके कड़क मिजाज के कारण शिक्षकों की ओर से विरोध झेलना पड़ा तो वहीं कई उनके काम की सराहना भी करते हैं. लेकिन, केके पाठक को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ा और वे अपने ही तरीके से काम लगातार करते जा रहे हैं.
अब स्कूल के बाहर भी करनी पड़ेगी नौकरी
ऐसे में अब एक और फरमान शिक्षकों के लिए जारी कर दिया गया है. जिसको लेकर कहा जा रहा कि, शिक्षकों के काम का बोझ अब और भी बढ़ने वाला है, उनकी टेंशन बढ़ने वाली है. बता दें कि, सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से ही गर्मी की छुट्टी कर दी गई है. लेकिन मिशन दक्ष के तहत कक्षाएं चलाई जा रही है, जिसकी अवधि सुबह के 8 बजे से 10 बजे तक है. इस दौरान शिक्षकों और बच्चों के गर्मी छुट्टी के बावजूद स्कूल आना पड़ रहा है. तो वहीं, अब शिक्षक को एक और काम दे दिया गया है. दरअसल, स्कूल में सेवा देने के बाद शिक्षक घर नहीं जायेंगे. बल्कि शिक्षा विभाग की ओर से जो काम उन्हें दिए गए हैं, वो करना होगा. स्कूल तो स्कूल लेकिन अब स्कूल के बाहर भी नौकरी करनी पड़ेगी.
केके पाठक ने जारी किया फरमान
मालूम हो कि, देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. ऐसे में अब राज्य के सभी शिक्षकों को घर-घर जाकर अभिभावकों से मिलना होगा. इतना ही नहीं शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों को जागरूक करेंगे. इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से आवश्यक निर्देश दिया गया है. बताया जा रहा है कि, शिक्षक अभिभावकों को वोटिंग में भाग लेने के लिए जागरूक करेंगे. इस दौरान अभिभावकों को एक-एक मतदान का महत्व समझाने और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए स्कूल के शिक्षक अपने पोषक क्षेत्र में डोर-टू-डोर अभियान चलाएंगे. स्कूल के शिक्षक अपने पोषक क्षेत्र के अभिभावकों को बताएंगे कि, बेहतर लोकतंत्र के लिए मतदान में भाग लेना कितना जरूरी है. इसके साथ ही शिक्षक शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी अभिभावकों के बीच जाएंगे और उन्हें मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए जागरूक करेंगे.
अभिभावकों को करना होगा जागरुक
एक हिंदी वेबसाइट की माने तो, जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार, फिलहाल तो स्कूलों में 8 से 10 दो घंटे के लिए मिशन दक्ष के तहत स्पेशल कक्षाएं चलाई जा रही है. ऐसे में शिक्षा विभाग से निर्देश जारी होने के बाद शिक्षक अलग-अलग चरणों में अभिभावकों को मतदान में भाग लेने के लिए जागरूक करेंगे. ये लोग बताएंगे कि, मतदान करना कितना जरूरी है और कई अन्य बातों की भी जानकारी देंगे. तो कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षकों का काम बढ़ा ही दिया गया है. बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ लोगों के बीच वोटिंग को लेकर जागरुकता फैलाने में बड़ी भागीदारी होगी. खैर, केके पाठक के फरमानों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब देखना होगा कि, आगे किस तरह के फरमान सुर्खियों में छाते हैं.