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Bihar के शिक्षा विभाग के ACS KK Pathak ने 'कंगाल' कर दिया ! भविष्य हो जाएगा चौपट, काम-काज होंगे ठप

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कोरोना काल के बाद बिहार की शिक्षा व्यवस्था की क्या हालत थी, यह किसी से भी छिपी नहीं. ऐसे में बात करें बिहार के विश्वविद्यालयों की तो लगातार सत्र पीछे चल रहे थे. काफी मेहनत और कड़ी मशक्कत के बाद विश्वविद्यालयों का सत्र पटरी पर आया था. लेकिन, अब जिस तरह की स्थिती उत्पन्न हुई है, उसे लेकर अनुमान लगाया जा रहा कि एक बार फिर से वैसी ही परिस्थिती आने वाली है और व्यवस्था चरमराने वाली है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा क्योंकि शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच जो विवाद उत्पन्न हुआ है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार दोनों के बीच टकराव की खबरें सामने आई. जिसके बाद राज्य के विश्वविद्यालयों के बैंक खातों पर पाबंदी लगा दी गई.

वहीं, शिक्षा विभाग के इस एक्शन के बाद इसका असर अब विश्वविद्यालयों के हर एक काम पर पड़ने लगा है. जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालयों की नामांकन प्रक्रिया से लेकर परीक्षाएं, रिजल्ट और डिग्री समेत कई अन्य काम भी प्रभावित हो रहे हैं. आंतरिक स्रोत की मदद से अब तक तो जैसे-तैसे किसी भी तरह से काम हो जा रहा था लेकिन अब स्थिती ढ़ीली पड़ रही है. कहा जा रहा कि, यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इसका असर विश्वविद्यालयों पर बड़े स्तर पर देखने के लिए मिलेगा और फिर उस स्थिती से उबरने में काफी लंबा समय लग सकता है. बता दें कि, इन दिनों कई विश्वविद्यालयों में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. 

ऐसे में फंड नहीं होने के कारण इसका असर एडमिशन प्रक्रिया पर भी देखने के लिए मिला. बता दें कि, इस साल सूबे के पूरे विश्वविद्यालयों में एंट्रेंस एग्जाम होना था. जो कि रोक दिया गया और इंटर के मार्क्स के आधार पर ही विश्वविद्यालयों में ए़डमिशन लिए जा रहे हैं. वो भी ऐसा इसलिए क्योंकि, एंट्रेंस एग्जाम कनडक्ट करवाने के लिए खर्च की जरुरत पड़ती, जिसकी हैसियत अब विश्वविद्यालयों को नहीं रही. आंतरिक स्रोत के बलबूते एंट्रेंस एग्जाम करवाना विश्वविद्यालयों के लिए संभव नहीं है. ऐसे में कहा जा रहा कि, जल्द ही यदि कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो विश्वविद्यालयों को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. 

अब परेशानी कहां-कहां पर आने वाले दिनों में आ सकती है, उसे लेकर भी आपको विस्तार रुप से बताते हैं....    

1. बात करें परीक्षा की तो, इस दौरान पूरे परीक्षा का आयोजन और इनविजिलेटर को पैसे देने पड़ते हैं. यदि ऐसा नहीं हुआ तो परीक्षा स्थगित हो सकती है.

2. इसके अलावे परीक्षा के लिए कॉपियां खरीदनी पड़ती है. साथ ही कई सामान भी लेने पड़ते हैं. वहीं, कॉपी की जांच को लेकर शिक्षकों को पैसे देने होते हैं. ऐसे में यदि विश्वविद्यालयों के पास पैसे ना हो तो परीक्षा लेना संभव नहीं हो पायेगा.

3. बिजली बिल प्री-पेड हो चुका है. यदि यह भरा नहीं गया तो बिजली गुल हो सकती है.

4. आउटसोर्सिंग कर्मियों में सफाई से लेकर सुरक्षा तक का जिम्मा है, उनका पेमेंट भी रुका हुआ है.

इसके अलावे भी कई सारी परेशानियां हैं, जो विश्वविद्यालयों को झेलनाी पड़ सकती है. ऐसे में मांग है कि, जल्द से जल्द कोई ठोस फैसला लिया जाए.  

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