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ACS केके पाठक के फरमान ने बिहार की बेटियों का बिगाड़ा भविष्य ! DEO साहब से लगाई गुहार

ACS KK Pathak's order spoils the future of the daughters of

प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार बिहार की बेटियों को आगे बढाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं. कई तरह की योजनाएं लाई जा रही है, ताकि उसका फायदा बिहार की बेटियों को मिले. उनकी पढाई में किसी तरह की बाधा ना आए, उसके लिए भी हर उपाय किए गए हैं. लेकिन, अब ऐसा लग रहा कि, बिहार की बेटियां कहीं ना कहीं पिछड़ सकती हैं और इसका कारण शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को माना जा रहा है. हालांकि, ऐसा क्यों ? हम आपको विस्तार से बताते हैं.... दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने एक फरमान जारी कर दिया है, जिसकी वजह से स्कूलों की बच्चियों पर आफत आ गई है. 

मुजफ्फरपुर का मामला आया सामने

बता दें कि, मामला मुजफ्फरपुर से सामने आया है जहां जिले में अपनी ही पंचायत के स्कूलों में नामांकन की बाध्यता ने सैकड़ों बेटियों की पढ़ाई रोक दी है. 8वीं कक्षा के बाद स्कूल में नामांकन को लेकर बड़ा फेरा हो गया. जिसके बाद बच्चों ने डीईओ कार्यालय पहुंचकर बार-बार अनुरोध किया, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया. वहीं, जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो बच्चों के साथ अभिभावक भी पहुंचे और डीईओ से गुहार लगाई. इस बीच आपको याद दिला दें कि, अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पिछले दिनों एक आदेश जारी किया था. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने नियम बना दिया है कि, बच्चे अपने ही पंचायत के स्कूलों में दाखिला लेंगे. साफ तौर पर आदेश दिया गया है कि, बच्चों को अपने संबंधित पंचायतों के भीतर स्कूलों में नामांकन कराना अनिवार्य है.

बच्चों के साथ अभिभावक भी कर रहे प्रदर्शन

वहीं, इस नियम के कारण कई छात्रों, खासकर लड़कियों को अपने घरों से दूर स्कूलों में जाना पड़ेगा और यही कारण माना जा रहा है कि, कई स्कूलों में 9वीं कक्षा में नामांकन दर 50 फीसदी से भी कम हो गई है. दूसरी ओर अभिभावक यह तर्क देते हुए विरोध कर रहे हैं कि यह छात्रों की सुरक्षा को खतरे में डालता है और उनके शिक्षा के अवसरों को कम करता है. लगातार बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर मांग कर रहे हैं. इधर, शिक्षक भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं और जिला शिक्षा अधिकारियों से हस्तक्षेप करने और इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस मामले में कोई एक्शन तो नहीं लिया गया है लेकिन, DEO ने इस मुद्दे पर विचार करने और जल्द से जल्द समाधान निकालने का आश्वासन जरुर दिया है. इस मामले को लेकर अभिभावकों की ओर से यह शिकायत आ रहे हैं कि, उनके इलाके के बच्चे आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी ही पंचायत के हाई स्कूल में दाखिला नहीं ले रहे हैं. जिसके बाद उन सभी की टेंशन बढ गई है. हालांकि, देखना होगा कि, डीईओ की ओर से जो आश्वासन दिया गया है, वह कब तक पूरा होगा.   

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