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KK पाठक की राह पर ACS एस. सिद्धार्थ, विश्वविद्यालय कर्मियों का वेतन रोका...

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Patna- शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद से के के पाठक की विदाई के बाद सबसे ज्यादा राज्य के विश्वविद्यालय के कुलपति और वहां के अधिकारी और कर्मचारियों ने राहत की सांस ली थी क्योंकि विभिन्न वजहों से केके पाठक ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों एवं कर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी थी. पटना हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उनके वेतन का भुगतान हो पाया था क्योंकि के के पाठक ने अकाउंट को ही फ्रीज कर दिया था.

 अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के रूप में एस सिद्धार्थ कामकाज संभाल रहे हैं लेकिन अब वे भी विश्वविद्यालय की मनमानी के खिलाफ सख्ती करना शुरू कर दिया है. अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव  द्वारा सभी कुलपतियों को पत्र भेजा गया है. इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन तभी मिलेगा जब वे विभाग के सभी निर्देशों का पूरी तरह पालन करेंगे। कई बार निर्देश देने के बावजूद विश्वविद्यालयों ने नियमों का पालन नहीं किया, जिससे वेतन भुगतान में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि अनुदान तभी जारी किया जाएगा, जब निर्देशों का पूरी तरह पालन होगा।

 शिक्षा विभाग के सचिव के इस पत्र के बाद राज्य के विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है. कर्मचारियों को वेतन भुगतान में देरी होने की आशंका सताने लगी है. विभाग की इस सख्ती वाले पत्र से पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कार्यकाल की याद दिलाने लगी है

 दरअसल शिक्षा विभाग के पत्र के अनुसार विश्वविद्यालयों को दो मुख्य निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। पहला, उन्हें अपने सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का डाटा शिक्षा विभाग के नए पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इसमें वेतन, पेंशन और पारिवारिक पेंशन से जुड़ी सारी जानकारी शामिल होगी। इसके अलावा अतिथि शिक्षकों का डाटा भी अपलोड करना होगा।दूसरा, सभी विश्वविद्यालयों को कंप्यूटरीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) लागू करना होगा। इसके तहत उन्हें अपने बचत खाता, चालू खाता और सावधिक जमा खाता में जमा सहायक अनुदान की राशि 15 दिनों के अंदर बिहार सरकार के नाम पर जमा करनी होगी। साथ ही, सीएफएमएस के जरिए 30 अगस्त 2024 तक बचे हुए सहायक अनुदान को ऑनलाइन रिफंड के माध्यम से वापस करना होगा।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कई बार बैठकें हो चुकी हैं और जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। इसके बावजूद विश्वविद्यालयों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। इसलिए अब अनुदान तभी जारी किया जाएगा जब विश्वविद्यालय के द्वारा सभी निर्देशों का पूरी तरह पालन होगा।

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