Desk- शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव के के पाठक की तरह ही वर्तमान अपर मुख्य सचिव एस.सिद्धार्थ भी नए-नए प्रयोग कर रहे हैं ताकि स्कूल की व्यवस्था बेहतर हो सके. इस संबंध में ACS S. सिद्धार्थ के निर्देश पर सभी जिला के अधिकारियों को पत्र भेजा गया है जिसमें शिक्षकों के द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी गई है. इसको स्कूलों में लागू करने का निर्देश दिया गया है.इसमें शिक्षकों के लिए एक मैनेजमेंट गाइडलाइन भेजा गया है जिसमें उन्हें बताया गया है कि बच्चों को कैसे मैनेज करें. उनका पहनावा और लुक कैसा हो, गार्जियन को कैसे मैनेज करें, क्लास और स्कूल का प्रबंधन कैसे करें। सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को कुशल स्कूल मैनेजर के तौर पर ट्रेंड करने में यह गाइडलाइन मददगार साबित होगी। इस गाइडलाइन के आधार पर हर महीने प्रत्येक प्रखंड में एक-एक टीचर, छात्र और छात्रा सम्मानित होंगे।
जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजे गए गाइडलाइन में कहा गया है कि शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह है जो खुद जलकर दूसरों की राह प्रकाशित करता है। मार्गदर्शिका में शिक्षकों की भूमिका और दायित्वों को पांच श्रेणियों में बांटा गया है। छात्र स्वरूप (Appearance), विद्यालय प्रबंधन, कक्षा प्रबंधन, छात्र प्रबंधन और अभिभावक प्रबंधन। कहा गया है कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों से समग्र विकास की जिम्मेदारी उठाएं और उन्हें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाएं।.पांच तरह के प्रबंधन वाले शिक्षक मार्गदर्शिका इस प्रकार है.....
छात्र स्वरूप (Appearance of students)
शिक्षकों को कहा गया है कि वो स्कूल आने वाले बच्चों की ड्रेस का ध्यान रखें कि सब यूनिफॉर्म में आएं। पोशाक के अलावा स्कूल बैग में रूटीन के हिसाब से किताब,कॉपी वगैरह रहे। बच्चे रोज नहाएं, नाखून ठीक से कटे हों और बाल कंटे और संवरे हों, ये भी टीचर्स को देखना है। गार्जियन से भी इन निर्देशों का अपने स्तर पर अनुपालन करने कहा गया है ताकि शिक्षकों को असुविधा ना हो।
विद्यालय प्रबंधन (School Management)
शिक्षकों को गाइडलाइंस की इस श्रेणी में 10 टिप्स दिए गए हैं। इसके तहत टीचर को समय से 10 मिनट पहले स्कूल पहुंचने, ऐप पर नियमित हाजिरी बनाने, स्कूल के प्रधानाध्यापक के साथ उस दिन की पढ़ाई की योजना पर चर्चा करने, चेतना सत्र (Prayer Meeting) में शामिल रहने और विशेष अवसरों पर उस दिन के बारे में बच्चों को बताने, निर्धारित मेनू के मुताबिक बच्चों को मिड डे मील मुहैया करवाने कहा गया है।
कक्षा प्रबंधन (Class Management)
कक्षा प्रबंधन सेक्शन में कुल 21 टिप्स हैं। क्लास के ब्लैकबोर्ड पर दिन, तारीख, विषय, उपस्थित और अनुपस्थित विद्यार्थियों की संख्या वगैरह खुद लिखना है या क्लास मॉनिटर से लिखवाना है। क्लास शुरू होने से पहले सफाई सुनिश्चित करें और क्लास शुरू होने के पांच मिनट के अंदर ऐप पर हाजिर और गैर-हाजिर बच्चों की जानकारी दर्ज करें। क्लास में बच्चे ज्यादा हों तो सेक्शन बना दें। विषयवार टीचर की कमी होने पर मिक्स क्लास चलाया जाए जिसमें छोटी कक्षा के बच्चे आगे और बड़ी कक्षा के बच्चे क्रम से पीछे बैठें।
अलग-अलग विषय के लिए कॉपी का इस्तेमाल ना हो। बच्चों की कॉपी नियमित रूप से चेक करें और गार्जियन को फीडबैक भी दें। हर सप्ताह वीकली टेस्ट लें और रिजल्ट को स्कूल डायरी के जरिए गार्जियन तक भेजें। अंग्रेजी में संवाद के लिए बच्चों को प्रोत्साहित और तैयार करें। संभव हो तो सरकार के द्वारा मुहैया कराई गई ऑनलाइन पठन सामग्री का इस्तेमाल भी करें। बच्चों को हर रोज होमवर्क दें और अगले दिन उसे चेक करें। स्कूल से निकलने से पहले अगले दिन की पढ़ाई की योजना तैयार कर लें।
छात्र प्रबंधन (Student Management)
इस श्रेणी में 16 प्वाइंट के जरिए स्कूल में छात्र-छात्राओं के प्रबंधन के गुर दिए गए हैं। कहा गया है कि हर रोज बच्चे चेतना सत्र में शामिल हों। स्कूल में ऊपरी क्लास से एक हेड गर्ल और एक हेड ब्वॉय का चयन करवाएं और हर सप्ताह बारी-बारी से नए बच्चों को मौका दिया जाए। विद्यार्थियों को चार समूह में बांटें और उनके ग्रुप्स के नाम नदी वगैरह पर रखें। इनके बीच प्रतियोगिताओं का आयोजन हो और वार्षिक उत्सव में पुरस्कार दिया जाए। पढ़ाई में कमजोर बच्चों को होशियार के साथ बिठाएं और होशियार बच्चों को उनकी मदद करने के लिए प्रोत्साहित करें।
अनुशासन का पालन हर हाल में हो लेकिन किसी भी सूरत में बच्चे को किसी तरह का शारीरिक दंड नहीं दिया जाए। अवांछित व्यवहार करने वालों को निर्धारित तरीके से टोकन और चेतावनी दी जाए। कमजोर बच्चों के लिए अलग से भी क्लास आयोजित करें। बच्चों को रटने के बदले समझने का महत्व समझाएं।
अभिभावक प्रबंधन (Parent Management)
बच्चों के गार्जियन के प्रबंधन की श्रेणी में पांच टिप्स हैं। इसमें बताया गया है कि अगर कोई बच्चा लगातार तीन दिन स्कूल ना आए तो बच्चे के पैरेंट्स को फोन करके
कारण पता करें और बात ना हो पाए तो घर जाकर देखें। बच्चों को स्कूल ना भेजने के लिए मां-बाप अगर कोई कारण बताते हैं तो उन्हें स्कूली शिक्षा का महत्व समझाएं
और बच्चों को स्कूल तक लाएं। बच्चों और गार्जियन के साथ नियमित अंतराल पर अभिभावक-शिक्षक मीटिंग (PTM) करें और उन्हें उनके बच्चे के बारे में फीडबैक और उचित सलाह दें। शिक्षकों को ये भी कहा गया है कि अगर विद्यार्थी सही पोशाक में नहीं आता है या उसके स्कूल बैग में जरूरी किताब-कॉपी नहीं है या अच्छे से तैयार होकर नहीं आया है तो स्कूल डायरी के जरिए यह बात अभिभावक तक पहुंचाई जाए।