खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। धान की अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है खेत से खरपतवारों को हटाना
पटना: राज्य में खरीफ धान फसल की रोपनी इन दिनों चल रही है। धान की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक से खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत रहती है। इसी कड़ी में अब कृषि विभाग ने धान की फसल से खरपतवार हटाने के लिए सलाह जारी की है। कृषि विभाग ने जारी सलाह में कहा है कि किसान रसायनों की अनुशंसित मात्रा का ही प्रयोग करें। खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। छिड़काव सदैव हवा शान्त रहने तथा साफ मौसम में करना चाहिए। खरपतवारनाशी रसायनों के छिड़काव के लिए फ्लैट फैन/फ्लड जेट नोजल का ही व्यवहार किया जाना चाहिए। सामान्यतः धान की फसल में दो निकाई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है। पहली निकाई-गुड़ाई, बुआई अथवा रोपनी के 20-25 दिन बाद तथा दूसरी 40-45 दिन बाद करके खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
फसल एवं खरपतवार की प्रतिस्पर्धा के क्रान्तिक समय में मजदूरों की कमी या असामान्य मौसम के कारण कभी-कभी खेत में अधिक नमी हो जाने के फलस्वरूप यांत्रिक विधि से निकाई-गुड़ाई संभव नहीं हो पाती है, जिस कारण किसान खरपतवारनाशी का उपयोग धान में खरपतवार प्रबंधन के लिए करते हैं। खरपतवार उगने के पहले होता है पेंडीमेथिलीन 30%ईसी का प्रयोग पेंडीमेथिलीन 30 प्रतिशत ईसी यह खरपतवारनाशी प्री-इमरजेन्स (खरपतवार उगने के पूर्व) प्रकृति का है, इसकी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 3-5 दिनों के अंदर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं बूटाक्लोर 50 % ईसी रोपनी के 2-3 दिनों (72 घंटे) के अन्दर 2.5 लीटर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। अथवा 50-60 किलोग्राम सूखे बालू में मिलाकर भुड़काव किया जा सकता है, भुड़काव के समय खेत में हल्का पानी लगा रहना आवश्यक है।
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प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ईसी रोपनी के 2-3 दिनों के अन्दर 1.25 लीटर की मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 प्रतिशत ईसी का 650- 1000 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जा सकता है। जीरोटिलेज या सीडड्रील विधि से सीधी बुआई में उसे 3 से 5 दिनों के अन्दर व्यवहार करना चाहिए। पाइराजोसल्फॉन ईथाइल 10 प्रतिशत डब्लूपी इस खरपतवारनाशी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रोपनी के 8 से 10 दिन के अन्दर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव या 50-60 किलोग्राम सूखे बालू में मिलाकर व्यवहार किया जाना चाहिए। विस्पाइरी बैंक सोडियम 10 % एसएल खरपतवारनाशी पोस्ट ईमरजेन्स (खरपतवार उगने के पश्चात) प्रकृति का है। इसका व्यवहार 200 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई या रोपनी 15-20 दिनों के अंदर 700-800 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर में मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए।
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