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झारखंड सरकार राज्य चला नहीं रहें है राज्य की सम्पदाओं को चर रहें हैं, सरकार ने वृद्ध एवं युवा को एक केटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया....

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रांची : हेमंत सरकार, सरकार नहीं शिकारी बन गई है। लोकतंत्र के मालिक जनता की चुनी सरकार चुनाव से पहले उसके मतदाताओं का शिकार करने के लिए सरकारी खजानों का चारा फेक रही है। हजारों युवाओं, बेरोजगारों का यह जुटान इस बात का गवाह है कि सरकार ने वादा खिलाफी के साथ उनके सपनों को कुचला है। नीति, नीयत और विश्वसनीयता के पैमाने पर विफल इस निकम्मी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का समय आया है। युवा इसी संकल्प के साथ हर एक कदम बढ़ाते रहें। 

आज युवा आजसू द्वारा रांची के प्रभात तारा मैदान में आयोजित झारखंड नवनिर्माण संकल्प सभा में उनहोंने ये बातें कही। सभा में राज्य भर से हजारों शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने शामिल होकर सरकार की वादाखि़लाफियों का हिसाब मांगा। 

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए नीति, नीयत और विश्वसनीयता की आवश्यकता है। मौजूदा सरकार इन तीनों मापदंडों पर विफल रही है। हमारे युवा सड़कों पर हैं। युवा रोजगार मांग रहे हैं। इनके पास बीए की डिग्री है, इनके पास एमए की डिग्री है। इनके पास इंजीनियरिंग की डिग्री है, पॉलिटेक्निक की डिग्री है, हर आवश्यक डिग्री है लेकिन इनके पास नौकरी की डिग्रही नहीं है। और यही डिग्री सरकार को देनी थी। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं से बेरोजगारी भत्ता का वादा किया था। अगर यह अपने वादे पर काम किए होते तो आज हर युवक को 4 लाख 20 हज़ार रुपया मिले होते। हेमंत सरकार ने सिर्फ राज्य को ही नहीं लूटा, जमीन व खदान को नहीं लूटा, बल्कि इन्होंने हर युवा के 4 लाख 20 हज़ार रुपया को भी लूटा है। आजसू प्रमुख ने कहा कि सरकार ने कहा था दो हजार रुपये का चूल्हा भत्ता देंगे लेकिन अब जब चुनाव आ गया तो यह एक हजार का चुनावी भत्ता दे रहे हैं। सरकार अपने वादे अनुसार अभी तक हर महिला को दो हजार रुपए प्रति माह के दर से चूल्हा भत्ता दी होती तो अभी तक 5 वर्ष में हर महिला को एक लाख बीस हज़ार रुपए मिला होता। यह हजार रुपए महिला को भत्ता नहीं दे रहे हैं बल्कि हर महिला का एक लाख बीस हज़ार रुपए हड़प चुके हैं। महिलाओं को यह राशि हेमंत सरकार से मांगनी चाहिए।सुदेश महतो ने कहा कि सरकार ने कहा था हर वर्ष जेपीएससी परीक्षाएं लेगी। लेकिन यह भी नहीं हुआ। सरकार ने कहा था युवाओं के पास नौकरियों की भरमार होगी लेकिन विगत पांच वर्षों में क्या हुआ? आंकड़ें बताते हैं कि हर वर्ष 5 लाख नौकरियों का दावा करने वाली इस सरकार के शासन काल में श्रच्ैब् ने 1033 लोगों को तथा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 10,041 लोगों को नौकरियां दीं। इन्होंने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। 

5 लाख लोग रोजगार की तलाश में घरों से निकलते हैं

आज राज्य की कुल आबादी अनुमानतः 4 करोड़ है। इसमें काम काजी उम्र वालों की आबादी 1 करोड़ 47 लाख 2 हज़ार 184 है। यह ऐसे लोग हैं जो यह तो काम कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं। इनमें 5 लाख लोग रोजगार की तलाश में घरों से निकलते हैं। इसमें शिक्षित, अशिक्षित, कुशल, अकुशल एवं हर प्रकार के कामकाजी उम्र के लोग शामिल हैं जो हर रोज घर से निकलते हैं और बिना एक रुपये कमाए वापस लौट जाते हैं। 

हम एक राजनीतिक दल के रूप में झारखंड के लोगों की बुनियादी जरूरतों, सामाजिक सरोकारों, आर्थिक उन्नति, राजनीतिक चेतना एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए तथा उनके हक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

झारखंड अपने निर्माण के 24वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। लंबे संघर्ष एवं रक्त रंजित आंदोलनों से गुजर कर हम सब ने अलग झारखंड राज्य तो पा लिया लेकिन शहीदों के सपने के अनुसार तथा आंदोलन में शामिल हर वर्ग के उम्मीदों के अनुकूल यह राज्य निखर नहीं पाया।

उन्होंने कहा कि अब हेमंत सरकार, सरकार नहीं है, यह शिकारी बन गई है और लोकतंत्र के मालिक जनता की चुनी सरकार चुनाव से पहले उसके वोट का शिकार करने के लिए सरकारी खजाने का चारा फेंक रही है। आप फंसिएगा मत। अगर सरकार की नीयत सही होती तो इस सरकार ने बनने के बाद ही जनता को सारे लाभ दिए होते। ये राज्य चला नहीं रहे हैं, इसे चर रहे हैं। यह सरकार जो भी योजनाएं ला रही है ये कोई कल्याणकारी कार्यक्रम नहीं है, ये एक चुनावी नारा है। अगर इन्हें जनता की चिंता होती तो ये सारी योजनाएं सरकार बनते ही लागू हो जातीं।

• सरकार की प्राथमिकता आंदोलनकारियों के अनुरूप नहीं

दुर्भाग्य से आज जो राजनीतिक व्यवस्था राज्य को चला रही है उसकी प्राथमिकता राज्य निर्माण के आंदोलनकारियों के सपनों के अनुकूल नहीं है। आज हमारे अन्नदाता परिवार की मासिक आय मात्र 4800 रुपए है। आपने युवाओं की फौज को सड़कों पर पुलिस की गोलियां और लाठियां खाने को छोड़ दिया और अपनी कलंकित विरासत को आगे बढ़ाते हुए झारखंड के मूलवासी एवं आदिवासियों की जमीन लूटने के लिए दलालों की एक बड़ी फौज खड़ी की। उन्हें सरकारी संरक्षण देकर हज़ारों करोड़ रुपए की जमीन हड़पने का काम किया है। डिजिटल डैकती कर अपनी जमीन से मूल रैयत को बेदखल कर रही है सरकार। इन्होंने युवाओं, महिलाओं, किसानों सभी को ठगने का काम किया है। 

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