लोकसभा चुनाव 2024 में अब ज्यादा समय बाकी नहीं रह गया है. इस चुनाव में कई पार्टियों की इज्जत दांव पर लगी है. इस बीच कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की बैठक के बाद अलका लांबा की ओर से सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने के बयान के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है. इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने खुद इसका खंडन भी किया. आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब अलका लांबा विवादों में आई हैं. अलका लांबा और विवादों का पुराना नाता रहा है. ऐसे में आज हम आपको कांग्रेस की नेता अलका लांबा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी पॉलिटिकल और पर्सनल लाइफ दोनों उठा-पटक से भरपूर रही है.
अलका लांबा का जन्म 21 सितंबर 1975 में हुआ था. उन्होंने मात्र 19 साल की उम्र से ही राजनीति में कदम रखा था. अलका लांबा की पर्सनल लाइफ उठा-पटक से भरपूर है. उन्होंने लोकेश कपूर से शादी की लेकिन 2003 में दोनों का तलाक हो गया. उनके पति लोकेश ने उन पर 2003 में आरोप लगाया था कि अलका ने लोकेश का सुभाष नगर वाला मकान अवैध तरीके से हथिया कर अपना राजनीतिक दफ्तर बना लिया है.
तलाक के बाद अलका लांबा का बेटा उनके साथ ही रहने लगा. उनके पति ने बेटे की कस्टडी मांगी लेकिन उनका बेटा ऋतिक लांबा अपनी मां के साथ ही रहता है. उनके बेटे ने पिता यानी लोकेश कपूर का सरनेम अपने नाम के साथ नहीं जोड़ा. ऋतिक ने अपनी मां का ही सरनेम अपने नाम के पीछे लगाया.
इसके बाद अलका लांबा 2012 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने गुवाहाटी छेड़छाड़ मामले में पीड़िता का नाम सार्वजनिक कर दिया था. जिसकी उन्हें सजा भी हुई थी.
बात अगर अलका लांबा के पॉलिटिकल करियर की करें, तो उन्होंने 20 से ज्यादा साल कांग्रेस के साथ बिताए. इस दौरान उन्होंने पार्टी के लिए कई काम किये और पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बनाई. लेकिन 20 साल के बाद उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थामा. 2015 में उन्होंने आप की टिकट से चुनाव लड़ा और चांदनी चौक से विधायक बनी. लेकिन 2019 में उन्होंने पार्टी में इज्जत नहीं मिलने की बात कहकर पार्टी छोड़ दी और दुबारा कांग्रेस में शामिल हो गईं. लेकिन दिल्ली असेंबली के स्पीकर ने पार्टी बदलने को लेकर बनाए नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में उनकी सदस्य्ता रद्द कर दी थी.
भाजपा विधायक ओपी शर्मा से झड़प से लेकर दिल्ली की एक शॉप में तोड़फोड़ के साथ ही राजीव गांधी पर दिल्ली विधानसभा में आप द्वारा लाए गए प्रस्ताव के विरोध में खड़े होने के साथ ही वह कई विवादों से जुड़ी रही हैं.
बता दें कि अलका अपना एक एनजीओ भी चलाती हैं जिसका नाम गो इंडिया फाउंडेशन है. यह एनजीओ पहली बार 2015 में चर्चा में आया था. उस साल एनजीओ के माध्यम से 15 अगस्त के दिन एक साथ 65 हजार लोगों ने रक्तदान किया था.
अलका लांबा ने अपना राजनीतिक जीवन 1994 में शुरू किया था. 1994 में वह डीयू से बीएसएससी का कोर्स कर रही थीं तभी वह एनएसयूआई (कांग्रेस की छात्र इकाई) की ओर से स्टेट गर्ल कनवीनर का पद दिया गया और देखते ही देखते अलका एनएसयूआई की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गईं.
अलका लांबा पर 2015 में यह आरोप लगा था कि उन्होंने 9 अगस्त के दिन भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा की दुकान में अनाधिकार प्रवेश किया और कैश बिल मशीन को फेंक दिया था. इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप लगा था कि उन्होंने काउंटर में तोड़फोड की और पुलिसकर्मियों के काम में बाधा पहुंचाई.
अलका लांबा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के रिटायरमेंट टेस्ट के दौरान भी चर्चा में आई थीं. मुंबई में जब उस मैच में राहुल गांधी पहुंचे थे तो उन्हें दुर्भाग्यशाली (अनलकी) बताया गया था. उस दौरान अलका लांबा कांग्रेस में ही थीं और उन्होंने ही सबसे पहले मीडिया में आकर राहुल गांधी का बचाव किया था.
कुछ साल पहले अलका लांबा पर सेक्स रैकेट चलाने का गंभीर आरोप भी लगा था. दरअसल उस समय अलका लांबा और पूर्व आप विधायक विनोद कुमार बिन्नी के बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर बवाल हो गया था. इसी के बाद अलका पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा था. अलका की शिकायत पर क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने इस मामले में केस भी दर्ज किया था.
अलका ने गोपाल राय को लेकर भी एक विवादित बयान दिया था, जिसके बाद उन्हें आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता पद से 2 महीने के लिए हटा दिया गया था. उन्होंने तब कहा था कि पार्टी की इस कार्रवाई के बाद उन्होंने कहा है कि मैं पार्टी के फैसले का सम्मान करती हूं और मैं अनुशासित कार्यकर्ता हूं और अनजाने में कोई गलती हुई तो उसका पश्चाताप करूंगी.
अलका लांबा का दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ भी विवाद रहा था. इसको लेकर उनका AAP विधायक सौरभ भारद्वाज के ट्विटर वार भी हुआ था. आखिरकार अलका लांबा ने 2019 में दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया था.