बिहार में नियोजित शिक्षकों से जुड़ा मामला लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है. सक्षमता परीक्षा को लेकर शिक्षकों की ओर से जमकर बवाल देखने के लिए मिला था. सक्षमता परीक्षा के विरोध में नियोजित शिक्षकों ने लाठियां तक खाई थी. बात कर लें शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तो शिक्षकों के बीच उन्हें लेकर गजब का आक्रोश देखने के लिए मिलता था. लेकिन उन तमाम गतिविधियों के बावजूद आखिरकार नियोजित शिक्षकों के परीक्षा देनी ही पड़ी और जो रिजल्ट सामने आया. उसके बाद तो नियोजित शिक्षकों की बल्ले-बल्ले हो गई है. दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि पास करने वाले शिक्षकों की संख्या 95 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इसके अलावे करीब 92 प्रतिशत नियोजित शिक्षकों को उनका मनचाहा जिला आवंटित किया गया है.
92 प्रतिशत नियोजित शिक्षकों को मनपसंद जिला
बता दें कि, बिहार में राज्यकर्मी बनने के लिए सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण पहली से 8वीं कक्षा के 92 प्रतिशत नियोजित शिक्षकों को उनकी पहली पसंद का जिला आवंटित किया गया है. इनमें 6ठी से 8वीं कक्षा के भी 75 प्रतिशत नियोजित शिक्षकों को उनकी पसंद का जिला मिला है. वहीं, पहली पसंद का जिला नहीं मिलने वाले शिक्षक फिर से सक्षमता परीक्षा दे सकेंगे. इधर, इस तरह के रिजल्ट सामने आने के बाद नियोजित शिक्षकों की बल्ले-बल्ले तो हो ही गई है. इसके अलावे केके पाठक के लिए भी कहीं ना कहीं नियोजित शिक्षक नरम हो गए हैं. इस बीच बता दें कि, राज्य में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिए जाने को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यम से सक्षमता परीक्षा कराई गई.
जल्द मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा
परीक्षा में सफल होने के बाद स्कूल में योगदान करने की तिथि से नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. राज्यकर्मी का दर्जा मिलते ही बिहार लोक सेवा आयोग से नियुक्ति शिक्षकों की तर्ज पर इन्हें भी सारी सुविधाएं मिलने लगेगी. वहीं, बात कर लें पोस्टिंग की तो, सक्षमता परीक्षा के समय ही सभी शिक्षकों से उनके पसंद के तीन जिलों का विकल्प मांगा गया था. परीक्षा में विषयवार प्राप्त अंकों के आधार पर शिक्षकों को उनके पसंद के जिले दिए गए हैं. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि, सक्षमता परीक्षा में जिन नियोजित शिक्षकों को विकल्प के तौर पर दिए गए तीन विकल्पों में से शीर्ष विकल्प वाला जिला प्राप्त नहीं हुआ, वो फिर से परीक्षा में शामिल होकर प्रदर्शन सुधार सकते हैं, ताकि उन्हें इच्छित नियुक्ति मिल सके. दूसरी सक्षमता परीक्षा जल्द आयोजित की जाएगी.
जोर-शोर से तैयारियों में शिक्षा विभाग
बता दें कि, कक्षा एक से पांच तक के एक लाख 48 हजार 845 शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा दी थी. इसमें एक लाख 39 हजार दस उत्तीर्ण हुए थे. वहीं, कक्षा छह से आठवीं के 23 हजार 873 शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा दी थी, जिसमें 22 हजार 941 उत्तीर्ण हुए हैं. शिक्षा विभाग की ओर से पहले ही साफ किया गया है कि हर नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण होने के लिए पांच मौके दिए जाएंगे. परीक्षा में पास होने के बाद स्कूल में योगदान की तिथि से नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा. इधर, शिक्षा विभाग ने सभी जिलों से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों की सूची मांगी है. इसको लेकर शिक्षा विभाग ने अलग-अलग तिथि तय कर दी है. 15 से 22 अप्रैल के बीच की तिथि तय की गई है, ताकि रिक्त पदों की सूची विभाग के सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जा सके. माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किया गया है.