बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने भले ही पिछले दिनों कर्मचारियों, शिक्षकों या बच्चों पर अपना एक्शन का डंडा चलाया हो. इस एक्शन की वजह से केके पाठक की खूब आलोचना की गई, चाहे कोई राजनीतिक नेता ही क्यों ना हो. कई तरह की बयानबाजी हुई. लेकिन, 2 नवंबर को जब पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केके पाठक का नाम लिया तब तालियों की गड़गडाहट थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. नवनियुक्त शिक्षकों की ओर से जब तालियां केके पाठक के लिए बजाई गई तब सीएम नीतीश कुमार भी देखते ही रह गए.
कुल मिलाकर देखा जाए तो इस समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री से भी ज्यादा सुर्खियां शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बटोर ली. आम तौर पर देखा जाता है कि, यदि किसी विभाग का कार्यक्रम होता है तो उस विभाग से जुड़े मंत्री की जमकर सराहना होती है. उस दौरान विभाग के मंत्री ही लाइमलाइट में होते हैं. लेकिन, इस बार कुछ अलग ही देखने के लिए मिला. मंत्री जी ज्यादा लोकप्रियता तो अपर मुख्य सचिव के लिए देखने को मिली. सीएम नीतीश कुमार ने तालियों की गूंज के बीच केके पाठक की खूब तारीफ कर दी. उन्होंने केके पाठक के काम की जमकर सराहना की. इसके साथ ही खुले मंच से दूसरे चरण में शिक्षकों की बहाली को लेकर गारंटी भी ली.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केके पाठक से कहा कि, 'कुल मिलाकर एक लाख 20 हजार पद हम बनाना चाह रहे हैं. अब तो हम यही चाहेंगे कि बहुत तेजी से भर्ती हो. अरे भाई...पाठक जी हम तो चाहते हैं कि अगले दो महीने के अंदर...जो बचा हुआ है एक लाख 20 हजार के करीब, उसका भी शुरू करवा दीजिए ताकि इनका भी और तेजी से बहाली हो जाए. करिएगा ना जी ? हमारा आग्रह है. हालांकि, इस दौरान सीएम नीतीश शिक्षा मंत्री प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर को भी नहीं भूले. उन्होंने प्रोफेसर चंद्रशेखर से सहमती मांगी और कहा कि, मंत्री जी बोलिए...खड़ा होकर बोलिए...सहमत हैं न ? दो ही महीने में बाकी सभी जो बचा है, करवा दीजिए. एग्री हैं न ? हम यही चाहते हैं कि तेजी से हो जाए बहाली.' तो कुल मिलाकर देखा जाए तो केके पाठक के काम की खूब सराहना हुई.
वहीं, केके पाठक आखिर हैं कौन ? यह भी हम आपको विस्तार से बताते हैं. तो केके पाठक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 1968 में जन्मे केशव कुमार पाठक ने शुरुआती पढ़ाई यूपी से की है. 1990 में पाठक की पहली पोस्टिंग कटिहार में हुई. गिरिडीह में भी एसडीओ रहे और जानकारी के मुताबिक, इसी दौरान उनका पहला विवाद भी हुआ था. इसके साथ ही लालू-राबड़ी शासन के दौरान केके पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी भी मिली. यहीं पर पाठक ने पहली बार सुर्खियां बटोरी. दरअसल, केके पाठक ने गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया था. जिसकी चर्चा खूब हुई.
इसके बाद 2005 में नीतीश कुमार की सरकार बनी तो पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया. वह बिहार आवास बोर्ड के सीएमडी भी रहे. वह 2010 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश ने उन्हें वापस बुलाया. 2015 में आबकारी नीति लागू करने में केके पाठक ने बड़ी भूमिका निभाई थी. पाठक 2017-18 में फिर से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली गए, जहां से 2021 में प्रमोशन पाकर पटना लौटे. जिसके बाद फिलहाल वे बिहार के शिक्षा विभाग में अपनी सेवा दे रहे हैं. केके पाठक से जुड़ी एक खास बात यह भी है कि, 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 असरदार ब्यूरोक्रेट्स की एक लिस्ट प्रकाशित की थी, जिसमें केके पाठक का भी नाम शामिल था.