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नियोजित शिक्षकों को लेकर हाईकोर्ट का एक और बड़ा फैसला, अब तो फर्जी डिग्री धारकों की खैर नहीं

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हाल ही में पटना हाईकोर्ट के द्वारा बिहार के नियोजित शिक्षकों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया गया. जिसके बाद उसे नियोजित शिक्षकों की बड़ी जीत मानी जा रही थी. बता दें कि, नियोजित शिक्षकों की नौकरी को सुरक्षित कर दिया गया यानि कि यदि वे सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं तो भी उनकी नौकरी नहीं जायेगी. लेकिन, इस बीच एक और बड़ा फैसला नियोजित शिक्षकों को लेकर आ गया है, जिसके कारण उनकी नौकरी जा सकती है. दरअसल, यह फैसला उन नियोजित शिक्षकों से जुड़ा है जो कि फर्जी डिग्रीधारी है. बता दें कि, पटना हाइकोर्ट ने फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षकों की बहाली मामले पर ही बड़ा फैसला दिया है. 

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, ऐसे फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. दरअसल, रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. 19 मार्च को ही सुनवाई कर ली गयी थी. हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था, जिसके बाद इस मामले में सुनाया गया. इस बीच आपको यह भी जानकारी दे दें कि, सर्वशिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए फंड दिया था. राज्य के द्वारा तीन स्तरीय पंचायत संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी. राज्य सरकार ने 2006 से ले कर 2015 तक शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इस जनहित याचिका में यही आरोप लगाया गया कि बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ती हुई.

तीन हजार शिक्षकों ने दिया था त्यागपत्र

वहीं, इस मामले में कोर्ट ने बाद में सुनवाई करते हुए कहा कि, ऐसे शिक्षक स्वयं त्यागपत्र दे देते हैं तो उनको क्षमादान दिया जा सकता है. कोर्ट ने इसके लिए 15 दिनों की समय सीमा तय की थी. कोर्ट के आदेश के बाद फर्जी डिग्री के आधार पर लगभग तीन हजार शिक्षकों ने स्वयं त्यागपत्र दे दिया था. बाद में इस मामले की जांच निगरानी विभाग ने शुरु की. बहुत सारे विश्वविद्यालयों व शिक्षा संस्थानों से फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले शिक्षकों की जांच शुरु की गयी. जांच में बहुत सफलता नहीं मिली. जिसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. 

गड़बड़ियों का किया गया था जिक्र

वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं. साथ ही वे वेतन उठा रहे हैं. कोर्ट ने गड़बड़ियों की जांच कर जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का आदेश देते हुए मामले को निष्पादित कर दिया. बात कर लें पिछली सुनवाई की तो, उस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निगरानी विभाग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मोहलत दी थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि अभी भी 72 हजार शिक्षकों के फोल्डर प्राप्त नहीं हुआ है. यह मामला काफी दिनों से चल रहा है, लेकिन जांच की रफ़्तार काफी धीमी है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें, जिसके तहत सभी संबंधित शिक्षक अपनी डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें. तो वहीं अब बड़ा फैसला पटना हाईकोर्ट ने भी सुना दिया है.  

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