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मोदी कैबिनेट में मंत्री रहे अश्विनी चौबे कर रहे चुनावी राजनीति से किनारा, बुजुर्ग नेताओं को क्या दे रहे नसीहत

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दस साल तक बक्सर से सांसद और केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद अश्विनी चौबे ने खुद को चुनावी राजनीति से अलग कर लिया है। इस बात की जानकारी खुद उन्होंने दी है। 

लोकसभा चुनाव में तीसरी बार टिकट से वंचित रहने के बाद बक्सर पहुंचे भाजपा नेता ने कहा कि 70 साल की उम्र के बाद सभी को चुनावी राजनीति से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बक्सर से अंतिम सांस तक उनका संबंध बना रहेगा। श्रीराम दर्शन केंद्र के लिए वह प्रयासरत हैं और उसको पूरा करके ही दम लेंगे।

जिला अतिथि गृह में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए स्थानीय सीट से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी रहे मिथिलेश तिवारी पर तंज कसा। लोकसभा चुनाव हारने के बाद खुद को सड़क का सांसद बतानेवाले मिथिलेश तिवारी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि  सांसद तो एक ही होता है। कोई सड़क का सांसद थोड़े न होता है। हम कह दें कि हम सड़क के प्रधानमंत्री हैं, सड़क के राष्ट्रपति हैं, तो यह ठीक नहीं है।

लोकसभा चुनाव हारने के सवाल पर चौबे ने कहा कि हम सब चुनाव नहीं हारे हैं, हम सबका घमंड चुनाव हारा है। यहां से कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़ता, तो जरूर जीतता। मेरे कार्यकाल में 10 साल में जो काम हुआ, उसकी भी कहीं चर्चा नहीं हुई। चुनाव के दौरान पार्टी ने उन्हें जहां भेजा, वहां वह गए। बक्सर नहीं भेजा गया, तो यहां नहीं आए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बक्सर से बनारस और भागलपुर तक जलमार्ग से कार्गो के परिचालन का उन्होंने सरकार को प्रस्ताव दिया था। 100 करोड़ का यह पायलट प्रोजेक्ट भविष्य में शुरू होगा। इसकी सहमति मिल गई है और डीपीआर बनकर तैयार हो गया है।

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