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Atal Bihari Vajpayee: जब शादी की बात सुनकर छिप गए थे अटल जी...आज अपने सपूत को याद कर रहा देश

आज पूरा देश भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती मना रहा है. उनसे जुड़े कई किस्से हैं जो आज भी हर किसी को याद हैं. आप सब ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक मशहूर किस्सा जरूर सुन होगा. जब एक महिला पत्रकार ने वाजपेयी जी के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए मुंह दिखाई में कश्मीर मांगा था. इस पर अटल जी ने भी अपनी शर्त रखते हुए कह दिया था कि मैं शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए. इस किस्से की चर्चा अक्सर होती है.

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर हम आपको अटल जी के कुछ ऐसे अनसुने किस्से बताएंगे...

बीजेपी को 2 से 200 तक पहुंचाया

अटलजी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे राष्ट्रवादी नेताओं के साथ मिलकर जनसंघ का आगे बढ़ाया. कांग्रेस पार्टी के सामने जब कोई विपक्ष नहीं हुआ करता था ऐसे वक्त में पहले अटल जी ने जनसंघ को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. देश में बीजेपी को दो से 200 सीटों तक पहुंचाने का श्रेय भी उन्‍हें ही द‍िया जाता है. राजनीत‍ि के ‘युग पुरुष’ के रूप में पहचाने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपना राजनैतिक जीवन शुरू किया था.

जब बहन की शादी में नहीं पहुंचे

अटल बिहारी वाजपेयी एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ एक अच्छे पत्रकार भी थे. अटलजी, स्वदेश अखबार लखनऊ के संपादक भी हुआ करते थे. ये उन्हीं दिनों की बात है, दरअसल में कानपुर में उनकी बहन की शादी होने वाली थी. शादी की तैयारियों के बीच नानाजी देशमुख ने अटलजी से कहा था कि तुम्हारी बहन की शादी है और तुम यहां हो. उनकी इस बात का जवाब देते हुए अटलजी ने कहा था कि शादी से ज्यादा जरूरी तो समाचार पत्र है, और जहां तक शादी की बात है तो वो मेरे बगैर भी हो जाएगी.

अपनी शादी की बात सुनकर छिप गए

क्या आप जानते हैं कि अटल जी अपनी शादी की बात सुनकर भागकर कहीं छिप गए थे. ये किस्सा 1944 से 1948 के बीच का है. इस वक्त उनके परिवार में अटल जी की शादी की बात चली. अटल जी शादी की बात से इतना डर गए कि, वो दोस्त के मकान में तीन दिन तक छिपकर लापता रहे. कानपुर देहात के गांव रायपुर में अटल जी अपने दोस्त के घर आकर छिपे हुए थे.

एक कॉलेज, एक ही क्लास में पिता के साथ पढ़े

क्या आप जानते हैं कि अटल वाहारी वाजपेयी ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी. दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे. दरअसल 1945 में, जब 21 साल के अटल बिहारी वाजपेयी ने कानून की पढ़ाई के कॉलेज में दाखिला लिया तो उनके एक सहपाठी उनके पिता ही थे जो शिक्षक के रूप में अपनी 30 साल की सेवा देकर रिटायर हो चुके थे. अटल जी के पिता पंडित कृष्ण बिहारीलाल वाजपेई, जब DAV कॉलेज, कानपुर में वाजपेई के सहपाठी बने, तब उनकी उम्र 50 साल से ज्यादा थी.

करीबी दोस्त कहते थे ‘बाप जी’

अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार ‘बाप जी’ कहकर बुलाते थे. अटल जी ने कभी शादी नहीं की थी परन्तु एक लड़की को गोद लिया था जिसका नाम नमिता है. 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन में उन्होंने भी भाग लिया था और 24 दिन तक कारावास में रहे थे. राजनीति के अलावा उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी ख्याति हासिल की. अटल जी ने कई पुस्तकों की रचना की, उनको कविताओं से भी खासा लगाव रहता था. आज भी उनकी लिखी हुई कविताएं पढ़ी जाती है.

नेहरू ने कहा था पीएम बनेंगे अटल

अटल जी इतने बड़े नेता थे कि विरोधी दलों के बीच भी उनका बेहद सम्मान था. एक बार तो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए ये तक कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे. दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भी बाजपेयी ही थे. अटल जी के कार्यकाल में भारत में इतनी सड़कों का निर्माण हुआ जितनी शेरशाह सूरी के शासनकाल में हुआ था.

जब अटल जी ने सुनाया था मुस्लिम देश में रामायण का किस्सा

एक बार अपने अफगानिस्तान दौरे के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने मुस्लिम देश में रामायण से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था. जिस होटल में उन्हें ठहराया गया था उसका नाम कनिष्क था. जैसे ही उन्हें होटल का नाम मालूम पड़ा उनके मन में एक ही सवाल आया कि आखिर अफगानिस्तान में कनिष्क कहां से आया? अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से ही अटल जी ने पूछ लिया कि कनिष्क आपका कौन लगता है? कनिष्क से आपका क्या संबंध है? इसके जवाब में जब विदेश मंत्री ने कहा कि कनिष्क हमारा पुरखा है और वह हमारे पूर्वजों में से एक थे. इसपर अटल ने कहा कि तब तो हमारे आपके पुरखे एक हैं. अफगानिस्तान के लोगों ने उपासना पद्धति बदली है, संस्कृति नहीं बदली.

लंबी बीमारी के बाद हुआ निधन

साल 2000 में अटल जी की सेहत बिगड़नी शुरू हो गई थी. 2001 में उनके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी होने के बाद 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया था. लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजयपेयी का निधन हो गया था.

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