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बक्सर संसद का राज्य और केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप

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राष्ट्रीय जनता दल के बक्सर की नवनिर्वाचित सांसद सुधाकर सिंह ने आज बिजली और पानी के मुद्दे पर बिहार सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार के करीब किसान परेशान है और बिहार सरकार जश्न मनाने में जुटी हुई है।

*किसान परेशान नहर में पानी नहीं*

सुधाकर सिंह ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को पानी नहीं देने का आरोप लगाया। पूरे बिहार में बिजली का हाहाकार है 

किसानों को खेत में पटवन के लिए नहरे में पानी की व्यवस्था नहीं। पूरे बिहार के 50 - 60% गांव में  पीने की पानी की व्यवस्था नहीं है।बिहार की सरकार जश्न के मूड में अभी भी पड़ी हुई है। जिसके चलते पूरे बिहार की खेती बर्बाद होने के कारण पर  है। 1 जून को बिहार सरकार ने एक परिपत्र जारी किया कि 1 जून से  बिहार के किसानों को नहरों में पानी दिया जाएगा। जबकि शुरू से ही परिपाटी थी कि 25 मई से ही किसानों के लिए नहर में पानी छोड़ा जाता था। यह दुखद विषय है कि  सरकार ने 1 जून को नहर में पानी छोड़ने की बात कही थी आज 13 जून हो गया अभी तक बिहार के किसी भी नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है। यह नियम है कि जहां से पानी छोड़ा जाता है वहां बिहार सरकार के तरफ से एक पत्र जाता है कि इतने पानी की जरूरत है। लेकिन यह दुखद बात है कि अभी तक बिहार सरकार के तरफ से अभी तक जल संसाधन विभाग के तरफ से अभी तक पत्र नहीं दिया गया है। मध्य प्रदेश में बांध सागर और उत्तर प्रदेश रिहन में भी यदि आज पत्र जाएगा तो एक सप्ताह के बाद ही पानी बिहार तक पहुंच पाएगा। यदि बिहार सरकार आज भी जागेगी तो एक सप्ताह बिहार तक पानी आने में लगेगा।

*सरकार को किसान कि चिंता नहीं*

बिहार के सासाराम के आसपास के  आठ जिला का जिसे धान का कटोरा कहा जाता है। वहां पानी के कारण किसान धान की खेती नहीं शुरू कर पा रहे हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पानी रहते हुए भी बिहार को पानी नहीं मिला। बिहार के कई हिस्सों में 15 मई से ही बीज रोकने का काम शुरू हो जाता है। करमचक डैम को भी अभी तक पानी छोड़ने के लिए बिहार सरकार ने नहीं कहा है। सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं पशु और पक्षियों के लिए भी की आवश्यकता है नदी के किनारे बसे लोगों के लिए सब्जी की खेती के लिए इन्हीं पानी पर निर्भर हैं लेकिन बिहार सरकार की लापरवाही से सबों को परेशानी हो रही है बिहार सरकार को किसान की कोई भी चिंता नहीं है। 1 महीने में पूरे बिहार की खेती को बर्बाद कर दिया गया।

*भूजल स्तर नीचे गया*

नदियों में पानी नहीं रहने के कारण जमीन के अंदर का भूजल स्तर भी धीरे-धीरे बहुत नीचे जा रहा है। बिहार सरकार की लापरवाही के कारण खेती के अलावा पेयजल की भी समस्या उत्पन्न हो गई है।

*बिजली की समस्या से लोग परेशान*

पूरे बिहार में बिजली का सिस्टम फेल हो चुका है ओवरलोडिंग के चलते पूरे गांव में ग्रामीण इलाकों में लोड सेटिंग किया जा रहा है। इस मिशन गर्मी में 4 से 6 घंटे ही ग्रामीण इलाकों में बिजली उपलब्ध की जा रही है। सरकार कह रही है कि बिजली की कोई कमी नहीं है यदि गांव के लोगों को बिजली नहीं मिल रहा है तो यह हेरा फेरी क्यों हो रही है।इसकी यदि जांच हो तो साफ स्पष्ट हो जाएगा कि बिजली रहते हुए आखिर गांव के लोगों को क्यों नहीं बिजली दी जा रही है। जब बिजली की खपत ज्यादा हो जाती है तो केंद्र सरकार की ग्रेड को राज्य सरकार महंगे दर पर  बेच देता है और बिहार में यही खेल हो रहा है यह मैंने कई बार होते हुए देखा है। यह भी बिहार में संभावना होती दिख रही है इसकी जांच होनी चाहिए। बिहार के मंत्री और अधिकारियों की यदि ऐसी बंद कर दिया जाए तो यह लोग बेहोश हो जाएंगे। लेकिन बिहार के आम लोगों के लिए बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। बिहार के किसानों को मात्र 8 घंटे बिजली उपलब्ध करवाई जा रही है  यह किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। सरकार ने पत्र जारी किया है कि कृषि फीडर में 8 घंटे से ज्यादा बिजली उपलब्ध नहीं होगी। आज स्थितियां हो गई है कि देश के लोगों के लिए गेहूं विदेश से आयात करना पड़ेगा। जब किसानों को आप सुविधा उपलब्ध नहीं करवाएंगे तो ऐसी स्थिति आएगी ही।

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