भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। केंद्र की एनडीए सरकार में जदयू शामिल है और उसके समर्थन पर सरकार टिकी हुई है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब महागठबंधन में थे तो विशेष राज्य की दर्जे की मांग जोर शोर से उठाया था और भाकपा सहित सभी पार्टियों ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग का समर्थन किया था। जब केंद्र सरकार नीतीश कुमार के समर्थन से चल रही है तो नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दवाब बनाकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए पहल करे।भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने बयान जारी कर कहा है कि 15 नवम्बर, 2000 ई. को बिहार का विभाजन कर अलग झारखण्ड राज्य का सृजन किया गया। इस विभाजन के परिणाम स्वरूप अखंड बिहार की कुल आबादी का करीब दो तिहाई भाग बिहार में और एक तिहाई भाग नवसृजित राज्य झारखण्ड में चला गया, जबकि प्रायः सभी खदान और वृहद उद्योग झारखण्ड के हिस्से में चला गया और शेष बिहार औद्योगिक दृष्टि से देश का एक अत्यन्त पिछड़ा, प्रतिवर्ष बाढ़ और सुखाड़ की विभीषिका झेलने वाला एक लैण्ड-लॉक्ड राज्य रह गया। जिस कारण विकास के मार्ग अवरूद्ध हो गये। ऐसे में विकास के राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचने के लिए बिहार को विशेष पैकेज की आवश्यकता थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बिहार को न विशेष पैकेज हीं दिया और न विशेष राज्य का दर्जा, जिससे बिहार विकास के मामले में पिछड़ते चला गया। भाकपा बिहार के विभाजन के समय से ही विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करती आ रही है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा तो विकास की गति तेज होगी।