केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया गया है. इस संबंध में राष्ट्रपति भवन की ओर से बयान जारी कर ये जानकारी दी गई. कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है.
I am delighted that the Government of India has decided to confer the Bharat Ratna on the beacon of social justice, the great Jan Nayak Karpoori Thakur Ji and that too at a time when we are marking his birth centenary. This prestigious recognition is a testament to his enduring… pic.twitter.com/9fSJrZJPSP
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
बता दें कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी. इस ऐलान के बाद जेडीयू ने मोदी सरकार का आभार जताया है. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि हमें 36 साल की तपस्या का फल मिला है. मैं अपने परिवार और बिहार के 15 करोड़ो लोगों की तरफ से सरकार को बधाई देना चाहता हूं.
इस पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि पीएम मोदी ने वो कर के दिखाया है जो कोई नहीं कर सका.
कर्पूरी ठाकुर को उनकी लोकप्रियता के कारण जननायक कहा जाता है. उनका जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ था. केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया है. कर्पूरी ठाकुर को पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाना जाता है. वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे. कर्पूरी बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे.
बिहार के समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि वह कभी अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए. उन्हें पिछड़ें वर्गों के लिए आरक्षण का रास्ता साफ करने के लिए जाना जाता है. उन्होने मुंगेरी लाला आयोग की सिफारिशों को लागू करवाया था. इसके लिए उनको अपनी सरकार की भी कुर्बानी देनी पड़ गई. इसके अलावा उन्होंने बिहार की शिक्षा व्यवस्था में भी कई अमूलचूक परिवर्तन किए थे. उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था.
कर्पूरी ठाकुर को बिहार में पहली बार शराबबंदी करने के लिए भी जाना जाता है. वहीं उनकी पहचान उनकी सादगी के लिए भी है. बताया जाता है कि वह अपने काम खुद करना पसंद करते थे. यहां तक कि दूसरों से हैंडपंप चलवाकर वह पानी तक नहीं पीते थे.
बता दें कि सोमवार को ही जदयू ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग की थी. केसी त्यागी ने कहा था कि कर्पूरी ठाकुर जननायक थे और उन्होंने समाज के लिए बहुत से काम किए. त्यागी ने कहा था कि कोई जननायक यूं ही नहीं बन जाता. उन्होंने कहा, "कर्पूरी ठाकुर ईमानदारी, सादगी और उच्च राजनीतिक मूल्यों के अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं. उनका पूरा जीवन समाज के आखिरी व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की फिक्र में गुजर गया."
24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जन्मशताब्दी की पूर्व संध्या पर यह बड़ा ऐलान किया गया है. बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को पिछड़ों का मसीहा कहा जाता है. बुधवार को उनकी जन्मशताब्दी के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.