Patna- आमतौर पर गलत जांच पड़ताल के लिए पुलिसकर्मियों एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ जुर्माना या अन्य तरह की कार्रवाई की जाती है, पर पटना हाई कोर्ट ने जज को ही दोषी ठहराया है और उनके खिलाफ ₹100 का सांकेतिक जुर्माना लगाया है. पटना हाई कोर्ट का या फैसला ऐतिहासिक माना जा रहा है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर गलत तरीके से ट्रायल चलाए जाने और फिर सजा देने के मामले में समस्तीपुर जिला अदालत के दो जजों को सांकेतिक सजा सुनाते हुई याचिकाकर्ता को हुई यातनाओं के लिए को दोनों जजों को 100-100 रुपये का सांकेतिक हर्जाना देने का आदेश दिया है.न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि निचली अदालत ने एक ऐसे व्यक्ति को दोषी ठहराया था जिसके खिलाफ मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता था.
बताते चलें कि समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अनुमंडल निवासी सुनील पंडित को अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2016 में तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. याचिकाकर्ता को उसी गांव की रहने वाली एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में नामजद किया गया था. महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था. सुनील पंडित ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति चौधरी ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 498ए और दहेज अधिनियम के तहत अपराध से बरी कर दिया. और सजा देने वाले जज को ही दोषी ठहराते हुए आर्थिक जुर्माना लगा दिया.