बिहार में 38 नहीं बल्कि 41 जिले हैं. उपन्यास मैला आंचल रामधारी सिंह दिनकर की कृति है. ऐसा मेरा कहना नहीं है बल्कि सक्षमता परीक्षा की जो आंसर की जारी की गई है, उसमें जानकारी दी गई है. जी हां, सक्षमता परीक्षा की ऑनलाइन जारी आंसर की में यही उल्लेख है. जिस तरह यह सुनकर आप हैरान हैं ठीक उसी तरह यह देखकर शिक्षक भी भौंचक हैं. बिहार में 38 की बजाय 41 जिले की जानकारी आपको सामान्य ज्ञान की किताब में तो नहीं बल्कि सक्षमता परीक्षा की जारी आंसर की में मिल रही है. बता दें कि, यह तो महज बानगी है. गड़बड़ी तो कई दिख रही है.
आंसर देख शिक्षक चौंके
बता दें कि, सक्षमता परीक्षा को लेकर आंसर की जारी कर दी गई है. वहीं, जब शिक्षकों ने मंगलवार को वर्ग 9 और 10वीं की सक्षमता परीक्षा के उत्तर की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. जिला स्कूल नव स्थापित के प्राचार्य अभिषेक अरुणाभ, शिक्षक विश्वजीत सिंह चंदेल आदि ने दावा किया कि, जवाब सही भरे हैं और आंसर की में उत्तर गलत जारी है. मालूम हो कि 26 फरवरी से छह मार्च तक ऑनलाइन परीक्षा ली गयी थी. बता दें कि, बिहार में करीब दो लाख शिक्षक सक्षमता परीक्षा में शामिल हुए थे.
प्रश्न संख्या की जगह क्यूआईडी का इस्तेमाल
बता दें कि, आंसर की में प्रश्न संख्या की जगह क्यूआईडी का इस्तेमाल किया गया है. क्यूआईडी 3067 के सही जवाब में बिहार में जिलों की संख्या 41 बताई गयी है जबकि बिहार राज्य में 38 जिले हैं. क्यूआईडी 3065 के सही जवाब में बिहार के राज्य पशु का नाम बैल की जगह हाथी बताया गया है. क्यूआईडी 3034 के सही जवाब में नेपाल के पड़ोसी भारतीय राज्यों के समूह में सिक्किम-भूटान बताया गया है. क्यूआईडी 3049 के सही जवाब में हिंदी उपन्यास मैला आंचल के लेखक फणीश्वर नाथ रेणु की जगह रामधारी सिंह दिनकर बताये गये हैं. सोशल मीडिया पर तो दर्जनों सवाल के जवाब ट्रोल हो रहे हैं.
21 मार्च तक दर्ज करा सकते हैं ऑब्जेक्शन
इस बीच आपको यह भी बता दें कि, नियोजित शिक्षक पूरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं. एक जानकारी यह भी दे दें कि, अगर किसी उत्तर में गलती है तो अभ्यर्थी 21 मार्च तक ऑब्जेक्शन दर्ज करा सकते हैं. ऑब्जेक्शन दर्ज कराने के लिए अभ्यर्थियों को प्रति प्रश्न के हिसाब से 50 रुपये का शुल्क देना होगा. हालांकि, बोर्ड की तरफ से सिर्फ उन्हीं प्रश्नों पर ऑब्जेक्शन स्वीकार किया जाएगा, जिसका सपोर्टिंग दस्तावेज अभ्यर्थी अपलोड करेंगे. वहीं, इसका भी विरोध शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है. शिक्षकों का कहना है कि, प्रति प्रश्न के हिसाब से 50 रुपये का शुल्क लेना सिर्फ कमाई का जरिया है.