हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातीय जनगणना को हरी झंडी मिल गई है. इसको लेकर अब तैयारी जोर शोर से की जा रही है और पुराने फाइलों को भी निकाला जा रहा है. लेकिन, गया नगर निगम के कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने दिखी.
दरअसल, गया नगर निगम के सम्राट भवन में रखे जाति आधारित गणना का दस्तावेज बारिश के पानी से भींग गया है. जिसे अब सुखाया जा रहा है. नगर निगम के 53 वार्डों के लगभग 1048 ईबी किट रखे गए थे. जिसमें से 30 से 35 ईबी किट बारिश के पानी से भींग गए थे, जिसे वहीं पर आकर सुखाया जा रहा है. हालांकि, गया नगर निगम की नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा का कहना है कि, दस्तावेज भींगने से कोई बड़ी समस्या नहीं होगी क्योंकि सभी विवरण ऑनलाइन है. जरूरत पड़ने पर मूल दस्तावेज आसानी से कंप्यूटर से निकाला जा सकता है.
बताया जाता है कि, कम से कम एक-एक प्रगणक के पास सर्वेक्षण से जुड़े 80 प्रपत्र थे, जिसे फील्ड में जाकर भरा गया था. वे सभी नगर निगम में ही जमा किए गए थे. ऐसे में यदि 70 प्रगणकों ने 80 फार्म जमा किए तो कुल मिला कर साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम में जमा कराए गए थे. यानी कि साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम की लापरवाही की भेंट चढ़ गए. नगर निगम में सभी प्रगणकों का फार्म इसलिए जमा कराए गए थे कि वे वहां पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे पर ऐसा हुआ नहीं. हालांकि, सभी प्रपत्र नगर निगम के सम्राट अशोक भवन के हॉल में रखे गए थे, फिर भी लापरवाही की वजह से सारे प्रपत्र नष्ट होने के कगार पर पहुंच गए हैं.
बिहार सरकार ने 6 जून 2022 को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी. 7 जनवरी से यह काम प्रदेश में शुरू कर दिया गया था. इस काम में बिहार सरकार आकस्मिकता निधि (कंटीजेंसी फंड) से 500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जबकि 5 लाख कर्मचारी मिल कर पूरे राज्य में इस सर्वे को अंजाम दे रहे हैं. इसमें सरकारी कर्मचारी के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी भी काम कर रही थीं. मई 2023 तक इस सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. बीते 4 मई 2023 को, पटना उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी. इस बीच सर्वेक्षण का 80% पूरा हो गया था. अब एक अगस्त को हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना कराने का फैसला सुनाया है.
कोर्ट के इस फैसले के आधार पर बुधवार से जातीय जनगणना का काम शुरू कर दिया गया है. इसी काम के तहत दोपहर बाद प्रगणक गया नगर निगम अपना रिकॉर्ड लेने पहुंचे थे. लेकिन, उनके सारे रिकॉर्ड पानी में सड़े-गले मिले. हालांकि सूत्रों का कहना है कि, गणना से जुड़े प्रपत्र को लोहे के चादर से बने कंटेनर में रखे जाने थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया.