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पटना में भाजपा का यादव मिलन समारोह, 21 हजार यादव बीजेपी में शामिल, जानिए इनसाइड स्टोरी

'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास' के मूल मंत्र पर चल रही बीजेपी के निशाने पर इस बार लालू यादव का एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण है. इसमें भी M के साथ Y यानी यादवों के 14 प्रतिशत से ज्यादा वोट पर पार्टी की निगाहें हैं. वैसे भी एनडीए के पार्ट रहे जेडीयू के महागठबंधन में चले जाने से कागजों पर भारतीय जनता पार्टी वोटों के समीकरण में पिछड़ते दिख रही है. जयंती पुण्यतिथि में तो जातीय वोटों को साधने की कोशिश हर दल करता है. पर बीजेपी ने एक नया प्रयोग कर यादव वोटबैंक में सेंधमारी के लिए गोवर्धन पूजा में यादवों के जुटान का जरिया ढूंढा है. जहां एक साथ 21 हजार यादवों को बीजेपी की सदस्यता दिलाकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को चौंकाने वाला काम किया है.

आगामी लोकसभा चुनाव के पहले का रिहर्सल

गोवर्धन पूजा पर यादवों के इस जुटान में जुटी बीजेपी अपने कद्दावर नेताओं के जरिए यादव वोटों में सेंधमारी का प्लेटफार्म तैयार कर रही है. इस प्रक्रिया के जरिए बीजेपी आम आवाम के बीच अपनी सर्व-स्वीकार्यता को भी स्थापित करना चाहती है. बीजेपी की ओर से यादवों के इस जुटान की धमक आरजेडी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक भी यह पहुंच गई है.

ये बीजेपी के अंदरूनी संघर्ष की कहानी तो नहीं?

गोवर्धन पूजा पर यादवों के इस भारी जुटान के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि यह केवल महागठबंधन को धमकाने के लिए ही नहीं है. बल्कि वो अपनी ताकत से बीजेपी के रणनीतिकारों का भी ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. ऐसी चर्चा है कि बीजेपी अब यादव वोट के साथ ही ज्यादा मेहनत अतिपिछड़ा और दलित मत को साधने के लिए कर रही है. बीजेपी के भीतर एक सोच यह भी चल रही है कि यादवों का वोट तो लालू यादव के साथ ही रहेगा. इसलिए इस मत के लिए बहुत मगजमारी करने की जरुरत नहीं है. चर्चा तो इस बात की भी है कि भाजपा के भीतर अब यादव नेता की बहुत पूछ नहीं हो रही है.

यहां तक कि केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय भी अब पावरफुल नही रहे. एक समय था जब बीजेपी ने इन्हें प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया. पर ये भी यादव मतों का ट्रेंड नहीं बदल पाए. आज की स्थिति यह है कि संगठन में यादव समाज को सिर्फ एक पद दिया गया है. महत्वपूर्ण पद पिछड़ा वर्ग में कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को मिला. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी सवर्ण को दिया गया. विधान परिषद में नेता विरोधी दल की कुर्सी अतिपिछड़ा वर्ग को मिला है.

14 फीसदी वोटों को साधने की कवायद : अरुण पांडे

जातीय सर्वे में यादवों की जनसंख्या 14 फीसदी से भी ज्यादा है. यह वोटरों की एक बड़ी संख्या की ओर भी इशारा करता है. वैसे भी बीजेपी के भीतर कई ऐसे यादव नेता हैं जिन्होंने लालू यादव के रहते जीत हासिल की. ऐसे नेताओं में नित्यानंद राय, अशोक यादव, ओमप्रकाश यादव, नंदकिशोर यादव, रामसूरत राय जैसी शख्सियत शुमार हैं. ऐसे में जब तमाम दल वोटरों को साधने के लिए जयंती और पुण्यतिथि के बहाने वोट साधने में लगे हैं तो बीजेपी ने दांव चला. पार्टी के यादव नेताओं ने गोवर्धन पूजा पर अपना निशाना इसी वोट बैंक को साधने की कर रहे हैं. वैसे भी बीजेपी का नारा है सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास. इस को ध्यान में रखकर लालू यादव का एमवाई समीकरण भी बीजेपी रणनीतिकारों की नजर में है.

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