बिहार में छठ पूजा से पहले ट्रेनों में उमड़ रही भीड़ से यात्रियों का दम घुटने लगा है. हावड़ा से काठगोदाम जा रही 13019 बाघ एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल बोगी में मंगलवार देर रात भीड़ के कारण दम घुटने से मजदूर की मौत हो गई. वह पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ा था. सारण के जैतपुर थाना इलाके के तिवारी टोला निवासी मजदूर दिनेश महतो (32) इंजन के बाद तीसरी जनरल बोगी में था. उसे सारण के एकमा स्टेशन पर उतरना था, मगर अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले भीड़ में उसका दम टूट गया. उसके पास से जनरल टिकट मिला है.
बताते हैं कि जनरल बोगी में अत्यधिक भीड़ के कारण उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी. साथ सफर कर रहे ग्रामीण ने आसनसोल में टीटीई को डॉक्टर उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन डॉक्टर नहीं पहुंच सके. कंट्रो ल रूम की सूचना पर बुधवार सुबह 10.10 बजे मुजफ्फरपुर रेल थाना ने बोगी से दिनेश का शव उतार पोस्टमार्टम के लिए एसकेएमसीएच भेजा गया. मामले में मुजफ्फरपुर रेल थाना ने साथ सफर कर रहे ग्रामीण के बयान पर यूडी केस दर्ज किया गया है. परिजन शव लेकर सारण चले गए. दिनेश महतो दुर्गापुर स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करता था. छठ में फैक्ट्री बंद हो गई तो वह अन्य मजदूरों के साथ घर लौट रहा था.
सीट नहीं मिली तो खड़े होकर कर रहा था सफर
रेल थाना मुजफ्फरपुर के थानेदार धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि दिनेश की तबीयत खराब थी. बोगी में भीड़ भी बहुत थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की वजह का खुलासा होगा. हालांकि, साथ सफर कर रहे ग्रामीण महेश महतो ने बताया कि सीट नहीं मिली तो वे लोग खड़े होकर यात्रा कर रहे थे. इसी बीच दिनेश को सांस लेने में परेशानी होने लगी. उन लोगों ने ट्रेन में ही टीटीई से मदद मांगी लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
मौत के बाद ट्रेन की फर्श पर मिली जगह
महेश ने बताया कि चितरंजन स्टेशन के बाद दिनेश की तबीयत अधिक बिगड़ गई और कुछ देर में ही उसने दम तोड़ दिया. मौत के बाद यात्रियों ने ट्रेन की फर्श पर शव रखने की जगह दी. बरौनी में रेलवे और रेल थाना के कंट्रो ल को सूचना दी गई. जबतक समस्तीपुर रेल पुलिस ट्रेन तक पहुंचती, ट्रेन खुल गई. इसके बाद शव मुजफ्फरपुर में उतारा गया. शव के साथ आठ घंटे तक महेश ने किया सफर बताया जाता है कि ट्रेन ने रात दो बजे के बाद चितरंजन स्टेशन क्रॉस किया. सवा दो बजे रात के बाद दिनेश की मौत हुई. इसके बाद महेश ने शव के साथ करीब आठ घंटे तक सफर किया. इस बीच उसके परिवार के लोग उनके संपर्क में थे. उनलोगों के कहने पर ही मुजफ्फरपुर में शव उतारा गया.