बक्सर- जिले में भीषण लू और आसमान से बरसती आग ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। अस्पताल से लेकर शमशान घाट तक चीखपुकार मचा हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में आने वाले मरीजो की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। आलम ये है कि सारे बेड फूल हो गए हैं और लोग जमीन पर लेटकर इलाज करा रहे हैं. अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियो की भारी कमी के बीच भी लोगों का इलाज करते-करते स्वास्थ्यकर्मी खुद बीमार पड़ जा रहे हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर से लेकर दवा काउंटर पर लंबी-लंबी कतारें लगी हुई है।
सरकारी आंकड़ों में एक भी मौत लू से नहीं हुई है
सदर अस्पताल के सरकारी रजिस्टर में दर्ज मौत के आंकड़ो को देखा जाए, तो 14 जून से लेकर 19 जून तक 25 वैसे लोग हैं, जिनकी मौत सदर अस्पताल में आने से पहले ही रास्ते मे हो गई है, जिन्हें डॉक्टरों ने ब्रॉड डेड घोषित किया है। जबकि अस्पताल में 21 लोगों की इलाज के दौरान मौत हुई है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो एक भी मौत लू लगने से नहीं हुई है। हालांकि बक्सर में स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसा कोई भी यंत्र नही है, जिससे यह पता चल सके कि उसकी मौत लू से हुई है। यही कारण है कि डॉक्टरों ने एक भी लू से मौत होने का आंकड़ा जारी नहीं किया है।
10 गुणा बढ़ी लू की दवा की खपत
सदर अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट राजीव रंजन ने बताया कि, पिछले एक सप्ताह से लू की दवा का खपत कई गुणा बढ़ गया है । खासकर पैरासिटामोल, जिंक ओआरएस एवं डीएस, की मांग. दवा की कोई कमी नही है।
क्या कहते हैं डॉक्टर ?
इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। परिजन अपने मरीज को लेकर अस्पताल आ रहे हैं, उनमें से कई ऐसे लोग हैं जिनकी मौत अस्पताल में आने से पहले ही रास्ते में हो जा रही है। कईयों के इलाज के दौरान मौत हो जा रही है। गर्मी अपने चरम सीमा पर है अस्पताल आने वाले लोगों को बेहतर से बेहतर इलाज करने की कोशिश की जा रही है।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन ?
अस्पताल में बढ़े मरीजों की जानकारी देते हुए प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर भूपेंद्र नाथ ने बताया कि, लोगों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है, सावधान रहने की जरूरत है। 10 बजे दिन के बाद बेवजह लोग घर से बाहर ना निकलें, अति आवश्यक कार्य के लिए अगर निकलना भी पड़ रहा है तो पूरे शरीर को कपड़े से ढककर निकलें और अपने साथ पानी का बोतल रखें, अधिक से अधिक पानी का सेवन करें और कम से कम धूप में निकलें. यह कोई महामारी नहीं है जैसे ही तापमान गिरेगा सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
गौरतलब है कि बक्सर के चरित्रवन स्थित शमशान घाट में भी दाह संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है. पहले जहां 32 से 35 शव ही सामान्य दिनों में आते थे। वहीं अब इसकी संख्या बढ़कर 120 तक पहुंच जा रही है.