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1990 के बाद सुशील मोदी के बिना BIHAR का पहला चुनाव,एक BJP नेता का दर्द..

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DESK- 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में अभी भी लालू समर्थन और लालू विरोध के नाम पर वोट मांगा जा रहा है, पर 1990 के बाद यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें लाल के दर विरोधी रहे सुशील कुमार मोदी चुनाव प्रचार से दूर है. हालांकि पीएम मोदी और बीजेपी के बड़े नेता बिहार में लगातार समय दे रहे हैं इसके बावजूद भाजपा के कई पुराने लोगों को सुशील मोदी की कमी खल रही है. गया के बेलागंज के रहने वाले और विभाग राय रखने वाले बीजेपी के एक पुराने नेता महेश शर्मा ने अपनी भावना प्रकट की है और सुशील मोदी के काम की तारीफ करते हुए उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है. बताते चलें कि सुशील मोदी कैंसर पीड़ित है और वह अभी खराब स्वास्थ्य की वजह से चुनावी प्रक्रिया से दूर है.

महेश शर्मा ने लिखा कि 1990 के बाद यह पहला ऐसा चुनाव है जिससे सुशील मोदी अनुपस्थित हैं। करीब तीन दशकों तक वे बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका से किसी को इनकार नहीं हो सकता।

जातीय राजनीति के लिए बदनाम बिहार में मारवाड़ी समाज से आनेवाले सुशील जी का बिहार की राजनीति की धुरी बनना एक बड़ी बात है। यह स्थान उन्होंने अपनी योग्यता से हासिल किया है। वे जितने अपडेट रहते हैं, उतने बहुत कम नेता होते हैं। उनका कार्यालय बहुत सक्रिय और व्यवस्थित रहता है। वहां हर जानकारी उपलब्ध रहती है। उनके कार्यालय से पत्रकारों को आंकड़ों के साथ ताजा जानकारी एक फोन पर मिल जाती थी। 

बिहार के चारा घोटाला समेत अनेक घोटालों का भंडाफोड़ करने में उनकी अहम भूमिका रही है। चंपा विश्वास रेप कांड को भी उन्होंने ही सार्वजनिक किया था। नीतीश कुमार का लालू प्रसाद से दो दो बार गठबंधन तुड़वाने वाले भी सुशील जी ही रहे हैं। बिहार की जातीय राजनीति और चुनावी गणित की उन्हें बेहतर समझ है। एक वह भी समय था जब चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों में सुशील जी की सभा अपने क्षेत्र में कराने की सर्वाधिक मांग रहती थी।

74 आंदोलन की नेतृत्वकारी मंडली में रहे सुशील जी प्रदेश के हजारों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। 

लेकिन आज वह नायक अशक्त बिस्तर पर पड़ा है। उन्हें कैंसर की घातक बीमारी ने लाचार बना दिया है। चुनावी हलचल से दूर वे दिल्ली में अपना इलाज करा रहे हैं। सुशील जी जैसे व्यवस्थित और अनुशासित जीवन जीनेवाले को कैंसर होना भी हैरान करनेवाला है। जो व्यक्ति चाय तक नहीं पीता, सुबह उठकर योग, प्राणायाम और ध्यान जिसके जीवन का हिस्सा रहा, नियमित पंचकर्म कराने वाले को  कैंसर हो जाए तो इससे स्वस्थ रहने की स्थापित मान्यताओं से भरोसा डगमगा जाता है।कैंसर होने की जानकारी उन्होंने खुद सार्वजनिक की।

 पिछले दिनों पटना के राजेंद्रनगर स्थित उनके पैतृक आवास पर उनका कुशल क्षेम जानने गया तो पहली नजर में उन्हें पहचान ही नहीं पाया। घुटा हुआ सर, बीमार, अशक्त, व्हीलचेयर पर बैठे सुशील मोदी जी को देखकर कोई भी स्तब्ध हो जायेगा। मैं तो बिलकुल सदमे वाली स्थिति में था। वे ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। पता नहीं उन्हें भगवान किस बात की सजा दे रहा है?

दूसरी ओर भ्रष्ट, अपराधी, दुराचारी और लुटेरे खूब मस्ती से जी रहे हैं। पता नहीं प्रभु का यह कैसा न्याय है?

जिस ईश्वर ने उन्हें यह जीवन दिया है, उसी से प्रार्थना है कि सुशील जी को शीघ्र स्वस्थ कर दे ताकि वे फिर से सामाजिक जीवन में सक्रिय हो सकें। बिहार को अभी उनकी जरूरत है।

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