Join Us On WhatsApp
BISTRO57

112 साल का हुआ बिहार, लगातार विकास के पथ पर बढता रहा आगे

Bihar turns 112, continues to move forward on the path of de

आज 22 मार्च का दिन है यानि कि बिहारियों के लिए बेहद ही खास दिन है. हर वर्ष 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है. बता दें कि, 1912 में बंगाल प्रांत से बिहार अलग हुआ. 22 मार्च को इसकी घोषणा हुई और एक अप्रैल से यह प्रभाव में आया. इसी के साथ बिहार के विकास की शुरुआत हुई. कहा जाता है कि, 1936 में ओड़िशा के हिस्से को बिहार से अलग करने और 2000 ई में झारखंड के रूप में खनिज, उद्योग और वन संपदा से संपन्न लगभग 40 फीसदी क्षेत्र के अलग होने के बावजूद बिहार का विकास रुका नहीं और यह लगातार इस पथ पर आगे बढ़ता रहा है. इसी का नतीजा है कि आज मानव विकास सूचकांक के कई पैमानों पर यह राष्ट्रीय औसत से भी ऊपर है.

शिशु मृत्युदर में आई काफी कमी

बात कर लें बीते एक दशक की तो, स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के कारण राज्य में शिशु मृत्युदर में काफी कमी आयी है. 2016 में प्रति एक हजार शिशु में यह आंकड़ा 38 था. वर्ष 2020 में यह घट कर 27 पर पहुंच गया. जबकि इसी वर्ष राष्ट्रीय औसत 28 था. इससे पहले बता दें कि, कभी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण काफी ऊंची शिशु मृत्यु दर के संकट से जूझ रहे राज्य में आज शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के नीचे पहुंच चुका है. इसी तरह कुछ वर्ष पहले तक साक्षरता की दृष्टि से भारतीय राज्यों में अंतिम पायदान पर खड़े बिहार में आज साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर पहुंच चुका है. बिहार के लोगों की औसत आयु भी बढ़कर 69.1 वर्ष हो गयी है जो राष्ट्रीय औसत 69.4 के लगभग करीब पहुंच चुकी है.

भारत के इतिहास में बड़ा योगदान

बिहार के इतिहास की बात करें तो, भारत के इतिहास में कई महत्त्वपूर्ण आंदोलन हुए हैं, जिन्होंने देश को नई दिशा दी. इस कड़ी में बिहार के आंदोलन भी प्रमुख हैं. महात्मा गांधी द्वारा साल 1917 में बिहार के चंपारण जिले से ही अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया था. इसके अलावा 1857 की क्रांति में भी बिहार के कुंवर सिंह को याद किया जाता है. साथ ही साल 1974 का जेपी आंदोलन यहां के बड़े आंदोलनों में आता है, जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्रों द्वारा किया गया था। इसका नेतृत्व जय प्रकाश नारायण कर रहे थे. 

bistro 57

Scan and join

darsh news whats app qr
Join Us On WhatsApp