बिहार में कहा जाता है कि मॉनसून कितना भी रूठा रहे, हथिया नक्षत्र में उसकी नाराजगी फुर्र हो ही जाती है. हथिया नक्षत्र में मॉनसून बिना बारिश कराए वापस नहीं लौटता. 29 सितंबर यानी सिर्फ 2 दिन बाद से हथिया नक्षत्र चढ़ने वाला है. लेकिन उससे पहले बिहार में तीन दिन की बारिश ने लोगों को काफी राहत दी. लेकिन पिछले तीन दिन से बादल थम गए हैं. सूर्य देव ने लोगों को रोशनी दी और बदले मौसम ने फिर से उमस. मगर मौसम विभाग को उम्मीद है कि इस बार भी हथिया नक्षत्र में मॉनसून बगैर बारिश कराए नहीं लौटने वाला. मौसम विभाग ने जो ताजा पूर्वानुमान जारी किया है, उससे यही जाहिर हो रहा है.
जानिए पटना से पूर्णिया तक बारिश कब होगी
पटना मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक 29 सितंबर तक बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल, पटना, गया, जहानाबाद, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, लखीसराय और बेगूसराय के कुछ हिस्सों में बारिश हो सकती है. जबकि मुजफ्फरपुर समेत राज्य के बाकी हिस्सों की एकाध जगहों पर हल्की बारिश की संभावना है. लेकिन 2 अक्टूबर से मौसम बदल जाएगा और उत्तर बिहार के कुछ हिस्सों के अलावा पटना समेत दक्षिण बिहार के ज्यादातर हिस्सों में बारिश शुरू हो जाएगी. कुल मिलाकर ऐसे समझिए तो बिहार के लोगों को अभी दो से तीन दिन हल्की उमस झेलनी पड़ सकती है.
इस बार देश भर में मॉनसून 6 प्रतिशत कम बरसा
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 सितंबर तक अखिल भारतीय संचयी वर्षा की कमी सामान्य से 6 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जबकि पिछले सप्ताह यह सामान्य से 8 प्रतिशत कम थी, चार में से दो क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई. रिपोर्ट के अनुसार, जबकि उत्तर-पश्चिमी भारत (सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक) और मध्य भारत (सामान्य) में क्रमशः सामान्य और सामान्य से अधिक वर्षा हुई, दक्षिण प्रायद्वीप (सामान्य से 9 प्रतिशत कम) और पूर्वी-उत्तरपूर्वी क्षेत्रों (सामान्य से 17 प्रतिशत कम) में कम वर्षा देखी गई है. इस महीने 23 सितंबर तक बारिश सामान्य से 17 प्रतिशत अधिक थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 122 वर्षों में सबसे शुष्क अगस्त के बाद मानसून के बदलाव ने खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर दिया है, हालांकि एल नीनो की चिंता बनी हुई है. 23 सितंबर तक खरीफ की बुआई पिछले साल की तुलना में 0.3 प्रतिशत अधिक है. धान की खेती का रकबा अब पिछले वर्ष की तुलना में 2.7 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, दालों का रकबा अभी भी पिछले साल की तुलना में 4.6 प्रतिशत कम (जो कि पिछले सप्ताह के -5.2 प्रतिशत से बेहतर है) है.