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बिहार की राजनीतिक फिजां में लाठीचार्ज की गूंज: लाठीचार्ज पर शुरू हुई अलग लेवल की सियासत, जानिए कैसे हुई विजय सिंह की मौत

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बिहार की राजनीतिक फिजां में लाठीचार्ज की गूंज सुनाई दे रही है. बीजेपी के बड़े से बड़े नेता लगातार बयान दे रहे हैं. उधर लाठीचार्ज को लेकर सरकार की ओर से भी सफाई आई है. ये सफाई ऐसी है जिसके बारे में सुनकर कोई भी हंस रहा है. सफाई है कि विजय सिंह की मौत लाठीचार्ज से नहीं हुई. आखिर कैसे हुई विजय सिंह की मौत. सरकार ने बताया है.

पटना में गुरुवार को बीजेपी नेताओं पर हुए लाठीचार्ज में प्रदेश स्तर के नेता विजय कुमार सिंह की मौत पर प्रशासन की ओर से सफाई आई है. आज के घटनाक्रम पर पटना जिलाधिकारी की विज्ञप्ति में बताया गया है कि विजय कुमार सिंह की मौत मार्च के दौरान नहीं हुई. उनके शरीर पर चोट के निशान भी नहीं पाए गए. सबूत के तौर पर एक वीडियो क्लिप भेजा गया है, जिसमें एक आदमी खुद को जहानाबाद का बता रहा है. बीजेपी इसे सही नहीं मानती. बीजेपी नेताओं का मानना है कि कल को सरकार की ओर से ये भी कह दिया जाएगा कि पटना में लाठीचार्ज हुई ही नहीं थी. नीतीश सरकार का कुछ भी भरोसा नहीं है. जिलाधिकारी ने जो बात कही है उससे बीजेपी नेताओं में आक्रोश है.

सरकारी बयान में लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से विधानसभा मार्च का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. गांधी मैदान से बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी आगे बढ़ रहे थे. उन्हें जेपी गोलम्बर के पास प्रशासन द्वारा रोकने का प्रयास किया गया. वे लोग नहीं माने और आगे बढ़ते गए. डाकबंगला चौराहा पर प्रशासन द्वारा नाकेबंदी कर रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिया. प्रदर्शन कर रहे व्यक्तियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा पानी की बौछार की गई और आंसू गैस के गोले छोड़े गए. प्रदर्शनकारी जबरदस्ती बैरिकेड तोड़ कर आगे बढ़ने लगे थे. उनसे आगे नहीं जाने का बार-बार आग्रह किया जा रहा था. क्योंकि डाकबंगला चौराहा से आगे प्रतिबंधित क्षेत्र है. प्रदर्शनकारियों को प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए पुलिस बल का प्रयोग कर उन्हें तितर-बितर किया गया.

सरकारी पक्ष है कि इसी बीच जहानाबाद के एक व्यक्ति की पीएमसीएच में मौत की खबर मिली. उनके साथी भरत प्रसाद चंद्रवंशी, जो जहानाबाद के निजामुद्दीनपुर के रहने वाले हैं, उन्होंने बताया कि वे लोग कार्यक्रम स्थल पहुंचे भी नहीं थे कि पता चला कि वहां भगदड़ हो गई है. बहुत लोग उधर से भाग रहे थे. इसी बीच विजय सिंह बेहोश हो कर गिर गए. हम लोग उन्हें तुरंत तारा हॉस्पिटल ले गए. फिर वहां से उन्हें एम्बुलेंस द्वारा पीएमसीएच ले जाया गया, जहां थोड़ी देर बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. विजय सिंह के शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं पाया गया है. दंडाधिकारी के समक्ष मृतक विजय सिंह का अंत्यपरीक्षण किया गया. जिलाधिकारी ने मेडिकल बोर्ड गठित कर मृतक का पोस्टमार्टम कराने और संपूर्ण पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया है. उसके बाद ही मृत्यु का वास्तविक कारण की जानकारी मिल सकती है. सीसीटीवी फुटेज से भी पूरे मामले की जांच की जा रही है. पटना के जिलाधिकारी ने पूरे घटनाक्रम पर अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था परऔर नगर पुलिस अधीक्षक (मध्य) से 24 घंटे के अंदर संयुक्त जांच प्रतिवेदन मांगी है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा मौत के लिए मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि सरकार ने अपराध, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता को छिपाने के लिए सरकार ने लाठीचार्ज कराया. उन्होंने मांग की है कि भाजपा के कार्यकर्त्ता की मौत के जिम्मेवार मुख्यमंत्री और उप मुंख्यमंत्री पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो. मारे गये भाजपा जिला महामंत्री विजय सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपया सरकार मुआवजा दे. सिन्हा के मुताबिक गांधी मैदान से शांतिपूर्ण विधानसभा मार्च पर पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठी चार्ज किया गया. मुख्यमंत्री के इशारे पर यह कार्रवाई की गई है. चार्जशीटेड तेजस्वी यादव के इस्तीफे, 10 लाख युवाओं को नौकरी और शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के मुद्दे पर विधानसभा मार्च किया जा रहा था. सरकार ने भाजपा के जुलूस पर पुलिस का हमला करा कर लोकतंत्र की हत्या की है. यह संविधान का अपमान है. राज्य में लूट, हत्या, अपहरण को रोकने में सरकार विफल हो गई है, लेकिन भाजपा पर लाठी बरसाने और चार्जशीटेड तेजस्वी यादव को बचाने में सरकार पूरी तत्परता से लग गई है। सरकार के इशारे पर गुलामों के तरह काम करने वाले पटना जिला प्रशासन के अत्याचार और विधायकों के सदन चलते अपमान पर अध्यक्ष को स्वतः विशेषाधिकार हनन के मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए.

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