बिहार में युवाओं को एक बड़ा मौका मिलने जा रहा है. बिहार पुलिस में दारोगा (अवर निरीक्षक) के 1275 पदों पर नियुक्ति के लिए पीटी परीक्षा रविवार को आयोजित की गई है. इसके लिए सभी जिलों में 613 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर परीक्षा में शामिल होने के लिए छह लाख 60 हजार अभ्यर्थी परीक्षा फार्म भरे हैं. साथ ही 16 हजार कैमरों की निगरानी में यह परीक्षा होगी.
बता दें कि दो पालियों में परीक्षा होगी. परीक्षा में अभ्यर्थियों को परीक्षा आरंभ होने के डेढ़ घंटा पहले से केंद्रों में इंट्री मिलेगी, जबकि आधा घंटा पहले गेट बंद कर दिया जाएगा. खास बात ये है कि पहली बार परीक्षा में नकल को रोकने के लिए बीपीएसएससी द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल किया जाएगा. सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जिनसे टाइट मॉनिटरिंग की जाएगी.
प्रश्न पत्र के हर पन्ने पर यूनिक नंबरिंग की गई है
पहली पाली की परीक्षा सुबह 10 से 12 और दूसरी दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक होगी. बिहार पुलिस लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष केएस द्विवेदी ने बताया कि प्रश्न पत्र वायरल होने से रोकने के लिए प्रश्न पत्र के हर पन्ने पर यूनिक नंबरिंग की गई है. इससे पत्र वायरल होने की स्थिति में तत्काल इसके लोकेशन की जानकारी मिल सकेगी.
16 हजार कैमरों से होगी निगरानी
16 हजार कैमरों से निगरानी परीक्षा में निगरानी के लिए आयोग कार्यालय में कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनाया गया है. परीक्षा के लिए सभी केंद्रों पर साढ़े 16 हजार कैमरे लगाए गए हैं. परीक्षार्थियों के प्रवेश से पहले उनकी फ्रिस्किंग, अंदर कागजी अटेंडेंस के साथ बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस, एडमिट कार्ड के साथ परीक्षार्थियों की फोटोग्राफी आदि की व्यवस्था भी की गई है.
अध्यक्ष ने बताया कि परीक्षा को भविष्य में आनलाइन कराने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए जल्द ही आयोग इस विषय में प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजेगा. अध्यक्ष ने बताया कि दारोगा के 1,275 पदों के लिए परीक्षाओं की प्रक्रियाएं निबटाते हुए दो महीनों में रिजल्ट देने की कोशिश होगी. पीटी में पद के 20 गुना परिणाम दिए जाएंगे.
दो माह में आएगा रिजल्ट
प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट दो महीने में आ जाएगा. निर्धारित सीट से 20 गुणा अधिक अभ्यर्थियों का चयन पहले चरण में होगा. इसके बाद मुख्य और फिजिकल परीक्षा के बाद अंतिम रूप से अभ्यर्थियों का चयन होगा.
एआई से निगरानी का मतलब
इस बार कदाचार रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग किया जा रहा है. अध्यक्ष ने बताया कि एआई की मदद से यह पता चल जाएगा कि नाम-पता या पहचान बदलकर कोई ऐसा अभ्यर्थी तो फिर से परीक्षा नहीं दे रहा है, जिसे पिछली परीक्षा में किसी तरह का कदाचार करते पकड़ जा चुका था. ऐसे अभ्यर्थियों को तीन साल के लिए आयोग की तरफ से आयोजित सभी परीक्षा में शामिल होने से वंचित कर दिया जाता है. एआई की मदद से दोबारा परीक्षा देने वालों को पकड़ा जाएगा.