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ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड: सड़क पर धक्का-मुक्की के बाद हुलास पांडेय ने पिस्टल से मार दी थी गोली!

बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्‍वर मुखिया की हत्या की जांच कर रही सीबीआई ने अदालत में दस्तावेज जमा कर दिए हैं. सीबीआई की टीम ने कोर्ट में केस डायरी सौंपी है. सीबीआई के मुताबिक तत्कालीन एमएलसी हुलास पांडेय ने ब्रह्मेश्वर मुखिया पर अपने पिस्टल से ताबड़तोड़ 6 गोली दाग दी थी. इससे पहले ब्रह्मेश्वर मुखिया और हुलास पांडेय के बीच धक्का-मुक्की हुई. फिर हुलास पांडेय के दो साथियों ने ब्रह्मेश्वर मुखिया के दोनों हाथ पकड़ लिये और फिर उन पर गोलियां चलाई गईं.

CBI ने मुख्य गवाह के बयान के आधार पर केस डायरी की तैयार 

सीबीआई की केस डायरी के मुताबिक गोली लगने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया रोड पर गिर गये. इसके बाद हुलास पांडेय स्कॉर्पियो से स्टेशन रोड होते भाग गये थे, उनके दूसरे साथी वहां से दौड़ते हुए स्टेशन की ओर भागे थे. सीबीआई ने इस मामले के मुख्य गवाह के बयान के आधार पर केस डायरी तैयार की है. सीबीआई कोर्ट में हुलास पांडेय के खिलाफ चार्जशीट भी कर चुकी है. 

सीबीआई ने 168 पेज की केस डायरी जमा किए

दरअसल, मंगलवार को बिहार के आरा की एक विशेष अदालत में सीबीआई ने 168 पेज की केस डायरी और कुल 500 पेज के अन्य संबंधित दस्तावेज जमा किए. इस मामले में सीबीआई पहले ही आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है, जिसमें पूर्व एमएलसी हुलास पांडे, जो लोजपा-रामविलास पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान के करीबी माने जाते हैं, सहित 8 लोगों को नामित किया गया है. पूरक आरोपपत्र दाखिल करने पर अदालत ने सीबीआई से केस डायरी और अन्य संबंधित दस्तावेजों के बारे में पूछा था, क्योंकि वे दाखिल नहीं किए गए थे.

केस डायरी में हत्याकांड के गवाह का बयान दर्ज

आपको बता दें कि सीबीआई की केस डायरी में इस हत्याकांड के गवाह का बयान दर्ज है. गवाह ने जांच एजेंसी को बताया कि 31 मई की 2012 की शाम वह पटना स्थित हुलास पांडेय के आवास पर गया था. कुछ देर बाद हुलास पांडेय पटना स्थित अपने घर से नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश उर्फ मोनू, अभय पांडेय और मनोज पांडेय समेत दूसरे लोगों के साथ अलग-अलग गाड़ी से आरा के लिए निकल गये थे. गवाह ने सीबीआई को बताया है कि उसने उस दिन एकादशी का व्रत रखा था. ऐसे में वह आरा जाने के बजाय रास्ते में दानापुर के सगुना मोड़ के पास गाड़ी से उतर गया था.

गवाह के मुताबिक जब वह गाड़ी से उतर रहा था तब हुलास पांडेय ने ये कहा कि कल आरा में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के कारण सर्किट हाउस में इंतजाम करना है. ऐसे में कुछ आदमी लेकर आज ही रात तक हर हाल में आरा सर्किट हाउस आ जाइए. गवाह ने बताया है कि हुलास पांडेय ने आरा आने के लिए उसे दो हजार रूपये भी दिये थे. पैसे लेने के बाद वह सगुना मोड़ से दानापुर कैंट स्थित अपने घर चला गया.

गवाह ने कहा है कि 31 मई 2012 की रात में अपना एकादशी का व्रत तोड़ने के बाद देर रात राजदूत बाइक से आरा सर्किट हाउस पहुंचा. वहां हुलास पांडेय के चालक के कहने पर फ्रेश होने के लिए कतीरा मोड़ की ओर चला. रास्ते में कतीरा मोड़ के पास उसकी बाइक बंद हो गयी. बाइक बंद होने के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाया. उसी दौरान उसने मर्डर होते देखा. 

ऐसे हुई थी हत्या

गवाह ने सीबीआई को बताया है कि वह आरा के कतीरा मोड़ के पास था कि हुलास पांडेय की स्कॉर्पियो वहां पहुंची. उस गाड़ी में हुलास पांडेय के अलावा मनोज पांडेय और बालेश्वर राय भी बैठे थे. कुछ देर बाद नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश उर्फ मोनू, गुड्डू पांडेय, अभय पांडेय और प्रिंस पांडेय भी वहां पहुंच गए. सीबीआई की केस डायरी में लिखा गया है कि हुलास पांडेय के सहयोगी गुड्डू पांडेय के हाथ में एके 47 रायफल था.

केस डायरी के मुताबिक हुलास पांडेय अपने साथियों के साथ आरा के कतीरा मोड़ पर जमा थे और उसी दौरान ब्रह्मेश्वर मुखिया भी टहलते हुए वहां पहुंच गये. मनोज पांडेय आगे बढ़ कर मुखिया के पास गया और कहा कि हुलास पांडेय गाड़ी में बुला रहे हैं. मनोज पांडेय ने ब्रह्मेश्वर मुखिया को अपने साथ ले जाकर गाड़ी में बैठा दिया. हुलास पांडेय की गाड़ी कुछ दूर चलकर ब्रह्मेश्वर मुखिया की गली के पास जाकर खड़ी हो गयी. हुलास पांडेय के साथी गाड़ी के पास खड़े हो गए थे. 

केस डायरी के मुताबिक बरमेश्वर मुखिया और हुलास पांडेय गाड़ी से उतरे. उसी दौरान दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस और धक्का मुक्की होने लगी. तब अभय पांडेय और फौजी ने बरमेश्वर मुखिया का हाथ पकड़ लिया. मनोज पांडेय बगल में खड़ा था. उसी दौरान हुलास पांडेय ने अपने हाथ में लिये पिस्टल से बरमेश्वर मुखिया को गोली मार दी. ब्रह्मेश्वर मुखिया को एक-एक कर 6 गोलियां मारी गई.

रणवीर सेना सुप्रीमो हत्याकांड

भोजपुर जिले के बेलाउर गांव के मूल निवासी मुखिया ने रणवीर सेना नाम के संगठन का गठन किया था. रणवीर सेना पर 1995 और 2000 के बीच भोजपुर और जहानाबाद जिले में माओवादियों के नरसंहारों के बाद जवाबी हमले का आरोप था. रणवीर सेना ने माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) पर हमला किया था. उस वक्त माओवादियों का खौफ चारों ओर पसरा हुआ था. इस खौफ को रणवीर सेना ने न सिर्फ चुनौती दी थी, बल्कि माओवादियों को बैकफुट पर ढकेल दिया था. हालांकि इस दौरान रणवीर सेना पर कुछ नरसंहारों के भी आरोप लगे.

ऐसे हुई थी ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या

1 जून, 2012 को जब वह सुबह की सैर के लिए अपने घर से बाहर निकले थे, तब आरा शहर के नवादा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत कटिता इलाके में अज्ञात व्यक्तियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. उनकी हत्या के बाद उनके समर्थकों ने उग्र प्रदर्शन किया था और कई संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था. शुरुआत में मामले की जांच बिहार पुलिस द्वारा की गई थी और 13 जुलाई 2013 को इसे सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था. 10 साल की जांच के बाद सीबीआई ने दिसंबर 2023 में आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था.

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