कैमूर: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला काफी जोरों पर है। विधानसभा चुनाव के लिए सभी सीटों पर नामांकन का दौर खत्म हो गया और स्क्रूटनी के दौरान कई प्रत्याशियों का नामांकन रद्द कर दिया गया जिसमें एक सीट मोहनिया है जहाँ से राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन का भी नामांकन रद्द हो गया। राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद से राजद लगातार भाजपा पर हमलावर है और साजिश के तहत उम्मीदवारों को परेशान करने और नामांकन रद्द करवाने का आरोप लगा रही है।
इसी कड़ी में गुरुवार को बक्सर के सांसद ने एक प्रेसवार्ता किया और इस चुनाव को लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि श्वेता सुमन लंबे समय से क्षेत्र में स्थानीय लोगों के बीच रह रही हैं और लोगों के सुख दुःख में शामिल होती हैं। उनका जाति प्रमाण पत्र भी प्रमाणित है बावजूद इसके RO ने राजनीतिक दबाव में आ कर उनका नामांकन रद्द कर दिया। सांसद सुधाकर सिंह ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया और कहा कि इस तरह का निर्णय प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।
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इस संबंध में दुर्गावती सर्किल ऑफिसर की रिपोर्ट, हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद स्क्रूटनी कमिटी गठित नहीं की गई जबकि यह प्रक्रिया क़ानूनी रूप से अनिवार्य है। सांसद ने कहा कि भाजपा के दबाव में आ कर RO ने जल्दबाजी में फैसला लिया है ताकि राजद प्रत्याशी को चुनाव से बाहर किया जा सके। सुधाकर सिंह ने निर्वाचन आयोग से मामले की उच्चस्तरीय जाँच की मांग की है। सांसद ने स्पष्ट किया कि दलित पिछड़े और वंचित समाज की आवाज़ दबाने की कोशिशें अब और बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
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