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बक्सर के इन 4 सपूतों के शहादत को भूली सरकार, दाने-दाने को मोहताज है पूरा परिवार

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अपने ही घरों में तंगहाली औऱ गुमनामी के जीवन जी रहे है। आजादी के चार दीवानों के परिजन, जिन्होंने सीने पर गोलियां खाते हुए डुमराँव थाने पर लहराया था 16 अगस्त 1942 को तिरंगा, प्रत्येक साल उनके याद में 16 अगस्त को आयोजित किया जाता है डुमराँव शहर में राजकीय समारोह, लेकिन उनके सपूतो के  कुर्बानियो को भूल गई है। सरकार दाने दाने को मोहताज है पूरा परिवार

बक्सर-  राजधानी पटना से 100 किलोमीटर पश्चिम बक्सर जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर राजाओं महाराजाओं के शहर डुमराव में शहीदों के याद में आज राजकीय समारोह का आयोजन किया गया था। जिलाधिकारी से लेकर तमाम पदाधिकारी एवं स्थानीय विधायक ने भी इस राजकीय समारोह में शिरकत की, जिला प्रशासन के द्वारा शाहिद वीर सुपतो के परिजनों  को कार्यक्रम स्थल पर बुलाकर हर साल की भांति इस साल भी अंग वस्त्र देकर कोरम पूरा किया गया। लेकिन सरकारी महकमे के एक लोग भी उन शहीदों के दरवाजे पर जाकर उनकी आर्थिक स्थितियो को जानने का प्रयास नही किया जिनके बदौलत आज देश अमृतमहोत्सव मना रहा है। 77 वे बर्ष गांठ पर जश्न मनाया जा रहा है।लेकिन जिसके बदौलत देश को आजादी मिली आज उनका परिवार गुमनामी का जीवन जी रहा है। और इसका सुध लेने वाला भी कोई नही है।


आज ही के दिन आजादी के दीवानों ने दी थी कुर्बानी


आज ही की दिन 16 अगस्त  1942 को राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के आह्वान पर डुमराँव के क्रांतिकारियों ने डुमराँव स्थित थाने पर तिरंगा लहराया था।  अंग्रेजी सिपाहियो के द्वारा गोलियां बरसाई जा रही थी, लेकिन आजादी के इन चार दीवानो ने  भारत मां के जयकारे का जयघोष करते हुए तिरंगे झंडे को गिरने नहीं दिया और डुमराँव के चार सपूतों  कपिल मुनि प्रसाद, गोपालजी ,रामदास सोनार, और रामदास लोहार ने अपनी शहादत देकर तिरंगा फहरा दिया।


शहीदों का यह कैसा सम्मान 


 वीर सपूतो के याद में आयोजित राजकीय समारोह में पहुँचे  बक्सर के जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि इस राजकीय समारोह के माध्यम से उन शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है । उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है। उनके बलिदान से एक प्रेरणा मिलती है।  हमेशा राष्ट्रहित के लिए तत्पर रहना चाहिए। 

लेकिन शहीदों का यह कैसा सम्मान है कि कार्यक्रम स्थल से चंद कदम की दूरी पर स्थित उन वीर सपूतों के वंशज  गरीबी और गुमनामी के जीवन जी रहे है। जिससे मिलने भी कोई नही गया। जिन्हें एक भी सरकारी योजना का आज तक लाभ नही मिला।


वोट के समय लोग देते है बड़ी बड़ी अश्वान


इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुचे डुमराँव विधायक अजित कुमार सिंह ने कहा कि,  हमें गर्व है कि हम उस  क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं  जहाँ से 21 लोगों ने शहादत थी । शहीदों के परिजनों के मांगो के बारे में पूछे जाने पर माले विधायक ने कहा कि जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा पर आए थे तो उनके समक्ष भी रखी गई थी ,उम्मीद है कि जल्द पूरी होंगी। देखते ही देखते आजादी का 77 साल गुजर गया लेकिन जल्द ही आने वाला वह दिन अब तक नही आया।


क्या कहते हैं परिजन


वही  जब शहीदों के परिजनो से हमने बात की तो सरकार के इस रवैया से असंतुष्ट दिखे। शहीद कपिलमुनि के परिजन शम्भू चंद्रवंशी ने  बताया की शहीदों के वंशजों की स्थिति काफि खराब हो चुकी है। जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। यह आयोजन केवल दिखावा बनकर रह 

गया है। वही शहीद स्मारक समिति के सदस्य दीना नाथ कुशवाहा ने बताया कि, शहीदों के वंशजों की स्थिति देखकर आंसू आ जातें हैं। बहुत ही दयनीय हालत है।

बर्षो से यह हमारी मांग है कि शहीदों के परिजनों को 6 कट्ठा जमीन , इंदिरा आवास योजना का लाभ, और पेंशन दिया जाए,यह छोटी सी  मांग  दशकों से पूरा नही किया जा रहा है। जबकि आजादी के नाम पर हमारे वंशजो ने अपने प्राणों को निछावर कर दिया।


बक्सर से उमेश पांडे की रिपोर्ट 

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