जाति गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले में गुरुवार को भी सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश के.विनोद चंद्रन और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ यूथ फॉर इक्वलिटी एवं कई अन्य द्वारा इस मामले में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई कर रही है.
सरकार ने रखा अपना पक्ष
मामले पर बिहार सरकार ने अपना पक्ष रखा. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि यह सर्वे है. इसका उद्देश्य बिहार में रह रहे आम लोगों के संबंध आंकड़ा एकत्रित करना है, जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के लिए किया जाना है. उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी व्यक्ति से प्राप्त की गई जानकारी को गोपनीय रखना है. इससे संबंधित व्यक्ति के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. इतना ही नहीं अगर कोई भी व्यक्ति अपने या अपने परिवार के संबंध में कोई जानकारी नहीं देना चाहता है, तो इसके लिए उसके ऊपर दबाव भी नहीं बनाया जा रहा है.
80 प्रतिशत हो गया है काम
पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि सर्वेक्षण का कार्य 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है. शाही ने कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा कराया जा रहा सर्वे उसके क्षेत्राधिकार में है. सरकार का अधिकार है कि वह अपने राज्य की जनता के हित में कोई भी कानून बनाए. सरकार ने जनता के हित में ही यह सर्वे कराने का निर्णय लिया था ताकि सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की पहचान की जा सके और उसके अनुसार उन्हें सरकार द्वारा सहयोग उपलब्ध कराया जा सके. इस मामले पर बुधवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. अब 6 जुलाई को सुनवाई होगी.