उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग हादसे का 10 दिन हो चुका है. लगातार 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा है. लेकिन, अब तक समस्या हल नहीं हो पाई है. अब तक मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास जारी है. इस बीच 'मौत की सुरंग' में फंसे मजदूरों का सीसीटीवी फूटेज सामने आया है. इतने दिनों में पहली बार मजदूरों की तस्वीरें सामने आई है, जिसमें साफ-साफ देखा जा सकता है कि, मजदूरों की अंदर क्या हालत हो रही है और किस परिस्थिति में रहने के लिए मजदूर मजबूर हैं. इतना ही नहीं, सुरंग में फंसे मजदूरों से वॉकी टॉकी की मदद से बातचीत की गई और उनका हाल-चाल जाना गया.
पाइप के जरिये भेजा गया कैमरा
बता दें कि, मजदूरों और सुरंग के अंदर का हाल चाल जानने के लिए पाइप के ही माध्यम से सुरंग में कैमरा भेजा गया है. इसी में सुरंग के अंदर के हालात कैद हुए हैं. अधिकारियों ने वॉकी टॉकी के जरिए मजदूरों से बात की. सुरंग के अंदर का जो फुटेज सामने आया है, उसमें देखा जा सकता है कि वे 10 दिन से कैसे सुरंग में रहने को मजबूर हैं. सुरंग से मजदूरों के रेस्क्यू में जुड़े कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि, हम सुरंग के अंदर फंसे लोगों को खाना, मोबाइल और चार्जर भेजने की कोशिश कर रहे हैं. हम अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश करेंगे. डीआरडीओ के रोबोट भी काम कर रहे हैं.
डीआरडीओ भी कर रहे हैं काम
दरअसल, डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की रोबोटिक्स टीम ने 'रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल' (ROV) तैनात किया गया है. इस आरओवी का नाम 'दक्ष' है. अब इस आरओवी के जरिए सुरंग में फंसे हुए लोगों की मदद की जाएगी. ये आरओवी विशेष रूप से मोटराइज्ड पैन-टिल्ट प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो जोखिम भरे इलाके तक पहुंचने में मदद कर सकता है.
मजदूरों को भेजी गई दाल, खिचड़ी
रेस्क्यू में जुटी एजेंसियों को सोमवार को बड़ी सफलता मिली. मजदूरों को पहली बार दाल, खिचड़ी भेजी गई. 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए बोतल में भरकर मजदूरों के लिए ये खाना भेजा गया. सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए सोमवार रात को 24 बोतल भर कर खिचड़ी और दाल भेजी गई. 9 दिन बाद पहली बार मजदूरों को भरपेट भोजन मिला. इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया. आज मजदूरों को दलिया और अन्य खाद्य सामग्री भेजी जाएगी. अभी तक पाइप के जरिए सिर्फ मल्टी बिटामिन, मुरमुरा और सूखे मेवे भेजे जा रहे थे. 6 इंच चौड़ी पाइप के जरिए ये खाना मजदूरों को पहुंचाया गया.