अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. इस अवसर पर भगवान राम के ससुराल नेपाल के जनकपुर में भी जश्न की तैयारी है. मां सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी व मायके जनकपुर में लोग काफी उत्साहित हैं. त्रेतायुग के बाद पहली बार दामाद के घर गृह प्रवेश है तो ऐसे में ससुराल से भार (मायके से बेटी के ससुराल में भेजे जाने वाले सामान) की पूरी तैयारी है. परंपरा के अनुसार, दामाद के गृहप्रवेश के लिए जनकपुर से चार जनवरी को उपहारों का भार भेजा जाएगा.
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से त्रेतायुगीन आध्यात्मिक रिश्तों की डोर मजबूत हुई है. जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रौशन दास वैष्णव ने बताया की पुरे जनकपुर धाम से "भार " लेकर लोग आ रहे हैं जिसे अयोध्या पहुंचाया जायेगा. भार में पकवान, तेल मसाले, मेवा, चूड़ा, मखानाऔर कपडे से लेकर आभूषण तक है.
बता दें कि मिथिला की पुरानी परंपरा है. जब बेटी का गृहप्रवेश होता है तो मायके से फल, पकवान, वस्त्र आभूषण समेत कई जरूरत की सामग्री भेजी जाती है. कुछ ऐसा ही उत्साह का माहौल है रामलला के नए गृह प्रवेश को लेकर. पिछले सत्तर साल से टेंट में रामलला विराजमान थे. अब भगवान राम घर जायेंगे तो लोगो में खुशी है. यह खुशी भारत के अलावा माता सीता के मायके में भी देखी जा रही है. इस संबंध के जरिए लोग खुशी के मारे अभिभूत हैं. नेपाल का जनकपुर माता सीता का मायका है. नए गृह प्रवेश को लेकर जनकपुर वासी खासे उत्साहित हैं और अपनी बहन-बेटी के लिए गृह प्रवेश के उपलक्ष में कीमती से कीमती सामान नेपाल से आगामी 3 जनवरी को अयोध्या के लिए रवाना करने की तैयारी है.
इसको लेकर यहां तैयारी जोर शोर से चल रही है. जो सामग्री भेजी जाएगी उसमें फल मिष्ठान, सूखे मेवे, वस्त्र मिठाई, आभूषण समेत राम लला के लिए धोती गमछा और बनियान तक शामिल है. यह सभी सामग्री जनकपुर वासी खुशी-खुशी भेज रहे हैं और इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. जनकपुर से मिथिला के लिए 500 की तादाद में लोग यहां से निकलेंगे, जंगल के रास्ते यह काफिला हाईवे पर मिलेगा. 4 जनवरी को नेपाल के चंद्रपुर होते हुए रक्सौल जायेंगे फिर बेतिया में रात्रि विश्राम होगा. 5 जनवरी को कुशीनगर गोरखपुर होते हुए शाम को अयोध्या पहुंचेंगे और रात्रि विश्राम वहीं होगा. 6 जनवरी को नेपाल के लोगों के द्वारा घर वाशी की सामग्री रामजन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाएगी. जनकपुर के राम जानकी मंदिर के महंत रौशन दास ने बताया की अब तक इस पूरी प्रक्रिया को लेकर नेपाल में सरकारी अधिकारी और पर्यटन विभाग के साथ कुल पांच बैठकें की जा चुकी है. इसी प्रकिया के तहत रामजन्मभूमि ट्रस्ट से बात हो चुकी है.
जनकपुरधाम के सिमरदही मठ के महंत डॉ. रवींद्र दास वैष्णव ने कहा कि प्रभु राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनाये जाने से नेपाल में गर्व व उत्साह है. त्रेता युग के बाद पहली बार ऐसा अवसर आया है कि जनकपुरधाम से अयोध्या भार भेजा जा रहा है. जनकपुर धाम में लोग स्वेच्छा से "भार "(उपहारों की टोकरी ) लेकर आ रहे हैं और अपना नाम लिख कर उसे जमा कर रहे हैं. हर टोकरी पर देने वाले का नाम और उसका मोबाईल नंबर लिखा जा रहा है. अभी तक बीस हजार उपहारों की टोकरी जमा हो गई है. महंत राम रौशन दास के अनुसार ये सभी टोकरियों "भार " को ट्रकों में भरकर अयोध्या ले जाया जायेगा. स्थानीय लोगों के अनुसार मां जानकी उनकी बेटी भी हैं और माता भी.