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चांद पर झट से नहीं उतरेगा अपना चंद्रयान-3, सूरज की रोशनी में ही चांद को चूमने की करेगा कोशिश

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Chandrayaan 3: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन, सैकड़ों साइंटिस्टों के साथ ही पूरा भारत आज जश्न मना रहा है. चंद्रयान-3 रवाना हो गया है. चांद को चूमने के मिशन को लेकर दुआएं और प्रार्थनाएं की जा रही हैं. दुनियाभर के देशों की नजर है. पीएम मोदी ने पेरिस से शुभकामनाएं भेजी हैं.

ठीक 2.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 करोड़ों उम्मीदों और सपनों की पोटली बांधकर अगले स्टेशन के लिए रवाना हो गया. जी हां, अपने यान का अगला स्टेशन मून है. 615 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत 43.5 मीटर लंबा 'बाहुबली' रॉकेट चंद्रयान को लेकर निकल चुका है. LVM3 इसरो का सबसे बड़ा और भारी रॉकेट है. इसरो के साइंटिस्ट इसे प्यार से 'फैट बॉय' कहते हैं. 

आपके मन में शायद सवाल होगा कि आज लॉन्च के बाद रॉकेट कैसे आगे बढ़ेगा? चांद पर उतरने से पहले चंद्रयान क्या करेगा और कौन सा समय देखकर वह चांद को चूमने की कोशिश करेगा. क्या इसका कोई मुहूर्त है. सच में मुहूर्त है और इसमें सूरज का स्पेशल रोल है. सच में, चंद्रयान का यह सफर दिलचस्प होने वाला है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक महज 16 मिनट की उड़ान  के बाद रॉकेट से चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट बाहर आ गया। उस वक्त ऊंचाई 179 किमी रही होगी. अपना यान 170 किमी की दूरी पर एक अंडाकार रास्ते पर करीब 5-6 बार धरती के चक्कर लगाएगा. घूमते-घूमते स्पीड हासिल करने के बाद यह एक महीने की यात्रा पर चांद की तरफ बढ़ेगा. मून की कक्षा में यह चांद की सतह से 100 किमी ऊपर तक पहुंच जाएगा.

यह घटना बड़ी दिलचस्प होने वाली है. चंद्रयान-3 को खुद 3.84 लाख किमी दूरी तय करनी होगी. लैंडर के 23-24 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. हालांकि तय पोजीशन पर पहुंचने के बाद लैंडर को एक फैसला करना होगा. चांद के साउथ पोल क्षेत्र में आराम से उतरने की कोशिश करने से पहले उसे सूरज के दर्शन का इंतजार करना होगा.

सूरज की रोशनी में ही चंद्रयान-3 चांद को चूमने की करेगा कोशिश 

जिस समय रोवर प्रज्ञान को लेकर लैंडर विक्रम चांद के करीब पहुंचेगा तो वह तब तक लैंड करने की कोशिश नहीं करेगा जब तक सूरज भगवान के दर्शन न हों. जी हां, सूरज की रोशनी में ही चंद्रयान-3 चांद को चूमने की कोशिश करेगा. दरअसल, चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. इसी दौरान रोवर चांद पर अपना काम पूरा करेगा. कई कैमरों के जरिए वह इसरो को तस्वीरें भी भेजेगा.

क्या बदल सकती है लैंडिंग की तारीख? 

इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि चंद्रयान के चांद पर उतरने की तारीख बदल भी सकती है. जी हां, यह चांद पर सूरज निकलने के समय पर निर्भर करेगी. इसरो चीफ ने बताया है कि अगर किसी भी वजह से चंद्रयान-3 की लैंडिंग में देरी होती है तो इसे अगले महीने सितंबर के लिए शेड्यूल किया जाएगा.

चांद के साउथ पोल पर हमेशा अंधेरा रहने के कारण इस इलाके में पानी होने की संभावना जताई जा रही है. पिछली बार 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था. इस बार भी जुलाई के महीने में यान के रवाना होने की एक वजह है. दरअसल, इस समय धरती और चांद अपेक्षाकृत करीब होते हैं. मून की अपनी ग्रैविटी है. यह धरती की तुलना में करीब 1/6 है. लुनार मिशन में इसका अहम रोल होता है.

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