बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार रात को RJD के तीन मंत्रियों का विभाग बदल दिया है. इसमें सबसे अधिक चर्चा जिसकी हो रही है वो हैं चंद्रशेखर. जी हाँ, प्रो चंद्रशेखर जिनसे शिक्षा मंत्री का पद छीन लिया गया. लेकिन CM नीतीश ने उन्हें पद से क्यों हटाया ? क्या इसकी वजह उनके द्वारा एक के बाद विवादित बयान हैं या फिर केके पाठक से उनकी तनातनी ?
इस लेख में हम यही जानने की कोशिश करेंगे
शनिवार रात को बिहार की नीतीश कैबिनेट में RJD के तीन मंत्रियों का विभागीय फेरबदल हुआ है. प्रो चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री के पद से हटाकर गन्ना मंत्री बना दिया गया है. उनकी जगह मौजूदा गन्ना मंत्री अलोक मेहता को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. नीतीश सरकार की ओर से शनिवार रात जारी अधिसूचना के मुताबिक चंद्रशेखर का शिक्षा विभाग से गन्ना विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया वहीं, गन्ना मंत्री अलोक मेहता को शिक्षा विभाग की कमान सौंप दी गई. दोनों नेता RJD के ही हैं. इसके अलावा RJD कोटे से एक और मंत्री ललित यादव को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का भी प्रभार दे दिया गया है. पहले इसके मंत्री अलोक मेहता ही थे. यानी कि चंद्रशेखर को अलोक मेहता की जगह तो भेजा गया लेकिन उन्हें दो की जगह एक ही विभाग की जिम्मेदारी दी गई. चंद्रशेखर को सिर्फ गन्ना मंत्री बनाया गया है, उन्हें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का प्रभार भी नहीं दिया गया . सियासी गलियारे में इसे चंद्रशेखर को साइडलाइन किए जाने के रूप में देखा जा रहा है.
चंद्रशेखर को क्यों किया गया साइडलाइन ?
महागठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री बनने के बाद से ही चंद्रशेखर कई बार अपने बयानों की वजह से विवादों में आ चुके हैं. CM नीतीश ने उन्हें नसीहत और चेतावनी भी दी थी लेकिन वे नहीं रुके. जानकार मानते हैं कि यही उनको पद से हटाने की बड़ी वजह है. दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से चंद्रशेखर की तनातनी को भी वजह माना जा रहा है. केके पाठक शनिवार को ही लंबी छुट्टी के बाद लौटे हैं और आते ही उन्होंने स्कूलों में दिए गए ठंडी की छुट्टी के आदेश को वापस लिया. इससे एक दिन पहले शुक्रवार को RJD सुप्रीमो लालू यादव अपने बेटे व डिप्टी CM तेजस्वी यादव को साथ लेकर CM आवास पहुंचे और करीब 45 मिनट तक तीनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी.
चंद्रशेखर अक्सर अपने बयानों के चलते विवादों में रहते हैं. पिछले साल उन्होंने रामचरित्रमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताकर बखेड़ा खड़ा कर दिया था. विवाद का जन्म यहीं से हुआ था. चंद्रशेखर के बयान पर बिहार ही नहीं देशभर में बहस छिड़ गई थी. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की कई मंचों पर आलोचना हुई, यहां तक कि RJD के सहयोगी JDU के नेताओं ने भी मंत्री चंद्रशेखर के बयान की निंदा की थी. लेकिन वे अपने बयान पर अडिग रहे.
चंद्रशेखर की टिप्पणियों से नीतीश सरकार पर भी सवाल उठने लगे. इसके बाद CM नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से उन्हें नसीहत देते हुए कहा था कि किसी धर्म के बारे में टिपण्णी करना बिलकुल गलत है. ऐसा नहीं होना चाहिए. लेकिन चंद्रशेखर फिर भी नहीं माने और हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में टिप्पणियाँ करते रहे.
पिछले दिनों की ही बात है, अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर को लेकर चंद्रशेखर ने विवादित टिपण्णी की. उन्होंने RJD विधायक फतेह बहादुर सिंह के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने मंदिर को गुलामी का रास्ता बताया था. चंद्रशेखर ने कहा कि अगर किसी को चोट लगेगी तो वह अस्पताल जाएगा, ना कि मंदिर. किसी को पढ़ लिखकर योग्य अधिकारी बनना होगा तो वह स्कूल जाएगा, ना कि मंदिर. हिंदूवादी संगठनों ने पटना में चंद्रशेखर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज कराई थी.
तो अब चंद्रशेखर की छुट्टी हो गई और और आलोक मेहता के रूप में बिहार को नया शिक्षा मंत्री मिल गया है. शिक्षा मंत्री बनाए जाने के बाद अलोक मेहता ने CM नीतीश कुमार, लालू यादव और डिप्टी CM तेजस्वी यादव का धन्यवाद किया है. साथ ही बिहार के शिक्षा क्षेत्र में विकास की बात कही है.