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नहाय-खाय से शुरू हो गई छठ महापर्व की शुरुआत, कद्दू-भात का भोग लगायेंगे छठव्रती

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जिस पल का बिहारवासियों को इंतजार था आखिरकार वह दिन आ ही गया. चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज यानी कि 17 नवंबर से हो गई. आज छठव्रती नहाय-खाय करेंगी. जितने भी छठव्रती हैं वे सभी गंगा स्नान करेंगी और इसके बाद भगवान भास्कर को प्रणाम कर कद्दू-भात का भोग लगायेंगी. छठ पर्व के दूसरे दिन शनिवार शाम को व्रती खरना करेंगे. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. नहाय-खाय के दिन शुक्रवार को बड़ी संख्या में व्रती गंगा घाटों पर गेहूं धोने और सुखाने जाएंगे. कई व्रती घरों में गेहूं धोने के लिए घाट से गंगाजल ले जाएंगे.

गली-मोहल्लों को किया जा रहा चकाचक 

बता दें कि, छठ महापर्व को लेकर गली-मोहल्लों के सड़कों की सफाई और उन्हें रोशन करने का काम तेज हो गया है. छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है. वहीं, गुरुवार को कद्दू की कीमत 50 से 70 रुपये के बीच रही. पिछले साल कीमत 100 रुपये तक पहुंच गयी थी. इससे पहले दो दिन बिहार के विभिन्न शहरों के बाजारों में भारी भीड़ देखी गई. लोगों ने कपड़े, दौरा, पूजा के सामान और चीजों की जमकर खरीदारी की. इस दौरान छठ महापर्व को लेकर श्रधालुओं के बीच उत्साह देखते बन रहा था. वहीं, आज छठ घाटों पर बड़ी संख्या में व्रतियों के भीड़ जुटने की संभावना है.  

36 घंटे का निर्जला उपवास हो जाता है शुरू 

वहीं, नहाय-खाय के दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है. पहले सुबह से ही व्रती अन्न-जल त्याग कर भगवान भास्कर की आराधना करने लगते हैं. शाम के वक्त अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है और भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं. तीसरा दिन सबसे कठिन होता है. इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाया जाने वाला ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है. इसी दिन शाम के वक्त लोग छठ घाट जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. छठ पर्व का चौथा दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को होता है. इस दिन अहले सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ व्रतियों के द्वारा पारण किया जाता है औत छठ का व्रत खोल दिया जाता है. इसी के साथ छठ पर्व का समापन भी हो जाता है. 

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