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भय के साए में पढ़ने के लिए बच्चे मजबूर, कभी भी हो सकते हैं हादसे का शिकार

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वैसे तो बिहार में स्कूल की व्यवस्था टाइट करने को लेकर शिक्षा विभाग खूब सुर्खियां बटोर रहा है. आये दिन ताबड़तोड़ निरीक्षण को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक फुल फॉर्म में भी दिख रहे हैं. लेकिन, इसके बावजूद कहीं ना कहीं कमी दिख ही जारी है. इसी क्रम में मामला समस्तीपुर जिले से सामने आया है जहां, खानपुर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मधुबन के शिक्षक दहशत के माहौल में बच्चों को पढ़ाने के लिए बाध्य हैं. 

दरअसल मामला विद्यालय में चहार दीवारी नहीं होने को लेकर हैं. बता दें कि, इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी. उत्क्रमित मध्य विद्यालय मधुबन के बिल्कुल सामने बहुत बड़ा पोखर हैं जिसके भिंडे पर चार चापाकल है. इसी चापाकल पर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं पानी पीते हैं. कब-किस समय बच्चे का पैर फिसल जाये और पोखर में गिर जाये कहना मुश्किल है. इससे पूर्व में भी कई घटनाएं घटित हो चुकी है. 

बताया जाता है कि, 2007 से मो. मुस्लिम जो उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं, वे चहार दिवारी निर्माण को लेकर संबंधित विभाग को कई दफा अवगत कराया और इसकी वरीय पदाधिकारी से शिकायत भी की. लेकिन, विभाग ने इस ओर कोई ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा. ऐसा माना जा रहा है कि शिक्षा विभाग कोई बड़ी दुर्घटना होने के प्रतिक्षा में है. जब कोई बड़ी दुर्घटना होगी तभी संबंधित विभाग की आंख खुलेगी. 

इधर, पूछे जाने पर प्रधान अध्यापक मो. मुस्लिम ने बताया कि, बिहार सरकार के द्वारा उक्त विद्यालय को +2 कर दिया. लेकिन, क्लास 9 से 12वीं वर्ग तक पढ़ाने वाले एक भी शिक्षक नहीं हैं. पूर्व में दो शिक्षक भी थे लेकिन, वे लोग डिप्टेशन में चले गये हैं. इतना ही नहीं, एक से पांच वर्ग तक में बेंच और डेस्क नहीं रहने के कारण बच्चे फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं.

प्रधानाध्यापक ने यह भी बताया कि, विद्यालय में कुल 8 टीचर हैं. जिसमें 6 पुरुष और 2 महिला शिक्षिका हैं. उन्होंने यह भी बताया कि, स्कूल में कार्यालय सहित मात्र 8 रूम है. रूम की कमी रहने के सबब छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. अब देखना है कि, शिक्षा विभाग इन सब समस्याओं को लेकर कब-तक समाधान करने में कामयाब होता है.

समस्तीपुर से प्रियांशु कुमार की रिपोर्ट 

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