केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया कि वो हाजीपुर सीट से ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. पशुपति कुमार पारस ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 'हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ूंगा. दुनिया की कोई ताकत मुझे नहीं रोक सकती है. मैं जब तक राजनीति में जिंदा रहूंगा, एनडीए गठबंधन से जुड़ा रहूंगा.' उन्होंने दावा करते हुए कहा कि एनडीए गठबंधन की बैठक में चिराग पासवान को निमंत्रण नहीं दिया गया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत करते हुए पशुपति पारस ने कहा कि विशेष परिस्थिति में इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को बुलाया गया है. लोगों को कुछ गलतफहमी हुई है, उसे दूर करना चाहता हूं. 18 तारीख को एनडीए की बैठक हुई थी. इस बैठक में चिराग ने प्रधानमंत्री का पैर छूकर पहले आशीर्वाद लिया। मैं बगल में खड़ा था। इसलिए मेरे पैर छूकर भी आशीर्वाद लिया। मैंने दिल से आशीर्वाद दिया। बिहार की परंपरा है पैर छूने पर आशीर्वाद देने की. चिराग ने पैर छुए तो लोगों को गलतफहमी हो गई. हमारा दल अलग है और चिराग पासवान का दल अलग है. एनडीए के हम विश्वासी सहयोगी दल हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चिराग पासवान की पार्टी एनडीए गठबंधन की पार्टी नहीं है. हमारी पार्टी के पांचों सांसद का फैसला एनडीए गठबंधन के साथ रहने का था. चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर बिहार में चुनाव लड़ा था. पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान ने वोट काटने के लिए एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था. चिराग खुद को भाजपा का हनुमान बताते हैं और उनके खिलाफ पीछे से विरोध करते हैं. एनडीए के खिलाफ चिराग ने 2020 में बिहार में चुनाव लड़ा. इसमें उनका एक उम्मीदवार जीता, वो भी उनके साथ नहीं रहा.
जमुई सांसद पर हमला बोलते हुए पशुपति पारस ने कहा कि चिराग पासवान का राजनीतिक चरित्र सही नहीं है. कभी आंख दिखाना, कभी उसी को देखकर हंसना, चिराग पासवान की आदत है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी राष्ट्रीय लोजपा में कोई टूट का सवाल नहीं है. सभी नेता सांसद एक साथ हैं.
चिराग पासवान हाजीपुर को सीट को अपने पिता की विरासत बताते हैं. रामविलास पासवान मेरे भी भाई हैं. रामविलास पासवान ने मुझे उस सीट से लड़ने के लिए अधिकृत किया था. रामविलास पासवान और हम तीनों भाइयों में राम लक्ष्मण भरत की जोड़ी थी. रामविलास पासवान ने मुझे चिराग की जगह हाजीपुर से सीट लड़ने के लिए अधिकृत किया था. रामविलास पासवान परिवार में सबसे ज्यादा मुझ पर भरोसा करते थे. रामविलास पासवान ने मुझे अपना उत्तराधिकारी समझा इसलिए हाजीपुर की सीट से मुझे लड़ने का मौका दिया.