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जाति गणना के आंकड़े होंगे सार्वजनिक, CM नीतीश बोले - बिहार पूरे देश में रोल मॉडल बनेगा

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बिहार में जाति आधारित गणना के डाटा सार्वजनिक किए जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को यह घोषणा की है. उन्होंने कहा कि बिहार की जातिगत सर्वे पूरे देश में रोल मॉडल बनेगा. CM नीतीश ने कहा कि सभी आंकड़ों को सरकार सार्वजनिक करेगी. गौरतलब है कि राज्य में गणना का काम पूरा हो चुका है. प्रगणकों द्वारा इकठ्ठा किए गए डाटा की पोर्टल पर एंट्री भी करा दी गई है. अब डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी. CM नीतीश ने कहा कि सभी आंकड़ों को सरकार सार्वजनिक करेगी. इससे पहले भी कर्नाटक और राजस्थान में जातिगत गणना हुआ है लेकिन वहां आंकड़े सार्वजानिक नहीं किए गए थे. 

CM नीतीश ने किया ऐलान 


CM नीतीश ने शुक्रवार को पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम सबकी जाति आधारित गणना पूरे देश में रोल मॉडल बनेगी. अब तो कई राज्यों में इसकी मांग उठने लगी है. बिहार सरकार सभी आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी. सीएम ने कहा कि कुछ लोगों ने जाति आधारित गणना में रोड़े अटकाने का काम किया, यह सभी को पता है. 

दरअसल, अभी सुप्रीम कोर्ट में जाति गणना पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका विचाराधीन है. पटना हाईकोर्ट इसे हरी झंडी दे चुका है. 

राजस्थान और कर्नाटक में क्या हुआ ? 

बिहार से पहले राजस्थान और कर्नाटक में भी जातिगत गणना का काम पूरा हो चुका है. 2011 की जनगणना के दौरान राजस्थान की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने लोगों के साथ-साथ उनकी जातियों की भी गिनती करवाई थी. हालांकि, सरकार ने कभी इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए, सिर्फ आर्थिक और सामाजिक सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई थी. इसी तरह कर्नाटक में भी 2014-15 में कांग्रेस की तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार ने जातिगत गणना करवाई थी. इस पर विवाद हुआ तो नाम बदलकर आर्थिक और सामाजिक सर्वे किया गया. 2017 में इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई. मगर उसमें कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं. इसके बाद सरकार ने कभी भी इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए. 

इन्हीं उदाहरणों को देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि अगर बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े नीतीश सरकार के अनुरूप नहीं हुए तो उन्हें भी दबा दिया जाएगा. हालांकि, अब CM नीतीश कुमार ने खुद इस बारे में स्पष्ट कर दिया है. सरकार अभी आंकड़ों को जनता के सामने रखेगी. इससे बिहार की जातिगत के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पता चल सकेगा.  

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