बिहार में सोमवार को जाति आधारित सर्वे रिपोर्ट जारी कर दी गयी है. राज्य सरकार ने प्रेस कॉप्रेंस कर जातीय गणना की रिपोर्ट को जारी कर दिया गया है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आंकड़ों की जानकारी दी. राज्य की कुल आबादी 13,07,25,31 है. रिपोर्ट आने के बाद इस पर प्रतिक्रिया का दौर भी शुरू हो गया है. मुख्यंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. सीएम ने जनगणना में लगी टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई!
इसके साथ ही आज सीएम नीतीश ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था. बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी. इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा.
सीएम ने कहा कि बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा. उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कास्ट सर्वे की रिपोर्ट पर कहा कि जातीय जनगणना से गरीबों में भम्र फैलेगा. लालू और नीतिश को अपनी काम का रिपोर्ट कार्ड देना चाहिये. ये केवल लोगों में भम्र फैलायेगा. आज जब विज्ञान की बात हो रही है और दुनिया चांद पर पहुंच रही तो लालू और नीतीश जाती गिन रहे हैं. पिछले 33 साल का हिसाब कौन देगा, ये नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को बताना चाहिए. बिहार के लोगों की हालत कितनी सुधरी इसको सरकार बताए. इस जातीय गणना के रिपोर्ट के जरिए अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश लालू और नीतीश कुमार कर रहे हैं.