PATNA- बिहार के विश्वविद्यालय एवं उनसे संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा बनाए जा रहे नए सिस्टम पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने आपत्ति जताई है और इस विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के खिलाफ बताया है. इससे विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग के बीच फिर से टकराव की स्थिति होने के आसार बन रहे हैं.
इस संबंध में जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के कुल सचिव द्वारा उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी को लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन भुगतान विश्वविद्यालय की प्राथमिकता में है, हर विश्वविद्यालय का पावर कुलाधिपति यानी राज्यपाल में निहित है, इसलिए कोई भी नई व्यवस्था कुलाधिपति और कुलपति की बिना सहमति के नहीं किया जा सकता है.
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया है कि 10 दिनों के अंदर लंबित वेतन की राशि अभिलंब शिक्षा विभाग को निर्गत करना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों का वेतन रोका जा सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग जो नई व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है वह पटना हाई कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन माना जाएगा. कुलसचिव ने आगे लिखा है कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारी को शिक्षा विभाग की किसी भी बैठक में जाने में किसी तरह की आपत्ति नहीं है, पर शिक्षा विभाग को भी नियमानुसार ही किसी तरह की कार्रवाई करनी चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि शिक्षा विभाग बिना किसी विलंब के वेतन मद की रोकी हुई राशि को तुरंत निर्गत करेगी.
छपरा विश्वविद्यालय के कुल सचिव द्वारा लिखा गया पत्र इस प्रकार है--
इस पत्र से स्पष्ट हो रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही नई व्यवस्था से विश्वविद्यालय प्रशासन सहमत नहीं है. ऐसे में यह आसार नज़र आ रहे हैं कि आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच का टकराव जारी रह सकता है, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि जब से के के पाठक अपर मुख्य सचिव के रूप में शिक्षा विभाग में आए हैं तब से शिक्षा विभाग अपने किसी भी आदेश से पीछे हटने को तैयार नहीं रहता है.