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बक्फ़ की संपत्ति पर केंद्र सरकार की नियत संदिग्ध: अखिलेश सिंह

Congress on baff bord

बिहार माइनॉरिटी फोरम ने सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक के दुष्प्रभावों और खामियों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण ज़ूम बैठक का आयोजन किया। जिसमें बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह और अमीर-ए-शरीअत बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड मौलाना वली फैसल रहमानी सहित कई प्रमुख लोगो ने भाग लिया।बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने उपस्थित लोगों को अपने पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का विरोध हर संभव राजनीतिक तरीके से करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी भी ऐसे कानून के खिलाफ है जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है, और उन्होंने सभी संबंधित मंचों पर इस मुद्दे को उठाने का संकल्प लिया।सिंह ने कहा कि हम पहले ही बिल को लेकर सतर्क हैं और हमें यह जानकर खुशी है कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने समय में सभी मुख्यमंत्री एवं बोर्डों को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने सारे मुख्यमंत्रिओं को निर्देश दिया था कि अगर कोई नेकी के लिए वक्फ़ संपत्ति देता है, तो सुनिश्चित करें कि उस पर राज्य का हस्तछेप या कब्जा न हो। यह कांग्रेस पार्टी की संविधान हितैषी बड़ी उपलब्धि है, आज भी प्रधानमंत्री कार्यालय में इस सन्दर्भ में लिखी आधिकारिक चिट्ठी मौजूद है, जो इस बात की पुष्टि करती है।मौलाना वली फैसल रहमानी ने विधेयक के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करते हुए विस्तृत आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित संशोधन वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता और ऐतिहासिक अधिकारों को कमजोर करता है। उन्होंने विधेयक में कई खामियों की ओर ध्यान दिलाया, जो अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को खतरे में डालती हैं और संवैधानिक सुरक्षा का उल्लंघन करती हैं। उन्होंने इस सन्दर्भ में गठित जेपीसी को मुस्लिम समुदाय द्वारा इस विधेयक में त्रुटियों से अवगत करने के लिए चलाये जा रहे ईमेल कैम्पेन को मज़बूती देने और ग्राम तथा वार्ड तक पहुँचाने का आह्वान किया। बैठक में कई प्रतिभागियों ने विधेयक के प्रभावों को लेकर सवाल पूछे। मौलाना वली फैसल रहमानी और अन्य विशेषज्ञों ने बेहतरीन तरीके से जवाब देते हुए उठाए गए सवालों और शंकाओं को स्पष्ट किया।बिहार माइनॉरिटी फोरम ने वक्फ संशोधन विधेयक के प्रति अपने कड़े विरोध को व्यक्त किया और जनता की राय को संगठित करने तथा राजनीतिक नेताओं को शामिल करने के अपने प्रयास जारी रखने का संकल्प लिया, ताकि विधेयक को मौजूदा स्वरूप में रोका जा सके। फोरम ने वक्फ संस्थाओं की धरोहर और अधिकारों की रक्षा के लिए सभी हितधारकों के एकजुट होने का आह्वान किया। इस सत्र का संचालन मिन्नत रहमानी और शिबली मंज़ूर द्वारा किया गया, जिन्होंने इस विवादित विधेयक पर व्यापक चर्चा को सुगम बनाया।


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