आज के समय में फोन और लैपटॉप जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल तो हर कोई करता है. अब लैपटॉप हो या फोन बिना इंटरनेट के इस्तेमाल करना तो डब्बा लगता है. इंटरनेट के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन साइबर क्राइम क्या है इस बात से अनभिज्ञ होंगे. हम आपको बता दें कि देश दुनिया में बहुत सारे अलग-अलग क्राइम है उन्हीं में से एक है साइबर क्राइम जो फोन और लैपटॉप के जरिए किया जाता है. आज साइबर क्राइम के बारे में हम आपको विस्तार से सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करेंगे जिससे आप जान पाएंगे कि साइबर क्राइम होता क्या है और इसके कितने अलग-अलग प्रकार होते हैं.
आइए सबसे पहले जान लेते हैं क्या होता है साइबर क्राइम?
यदि आप भी अपनी दिनचर्या के व्यवसाय से जुड़े अधिकतम काम इंटरनेट के जरिए करते हैं तो साइबर क्राइम के बारे में जानना आपके लिए बेहद आवश्यक है. क्योंकि इंटरनेट ही एक ऐसा जरिया है जो देश विदेश में बैठे लोगों को आपस में एक दूसरे के साथ जोड़ने और व्यवसाय को बढ़ाने का काम करता है ऐसे में धीरे-धीरे साइबर क्राइम भी बढ़ता जा रहा है. यदि सरल शब्दों में बात की जाए तो साइबर क्राइम एक ऐसा क्राइम है जिसमें कुछ अपराधी आपके फोन और इंटरनेट से कुछ अलग प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके साइबर क्राइम को अंजाम देते हैं. वे उन सॉफ्टवेयर और कुछ विभिन्न प्रकार के खतरनाक तरंग के जरिए आप के फोन और लैपटॉप से आपका सभी प्रकार का निजी डेटा चुरा लेते हैं उसे ही साइबर क्राइम कहा जाता है.
डिजिटल दुनिया में अपनी ऑनलाइन पहचान और निजी जानकारियां छिपाना बेहद मुश्किल हो गया है. साइबर अपराधी किसी न किसी तरीके से आपको ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार बना सकते हैं. भारतीय यूजर्स इन अपराधियों के लिए सॉफ्ट टारगेट हैं. हाल ही में लोकल सर्किल रिसर्च एजेंसी की एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसके मुताबिक हर साल कम-से-कम 39 प्रतिशत भारतीयों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी होती है. इन वित्तीय धोखाधड़ी की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. सरकार और संबंधित एजेंसियां उन्हें जागरूक कर रही हैं, लेकिन साइबर अपराधी भी नये-नये तरीकों से उन्हें शिकार बना लेते हैं.
साइबर क्राइम के अंतर्गत अपराधी आपके फोन या लैपटॉप के सॉफ्टवेयर से अपने सॉफ्टवेयर को जोड़ देते हैं और उसके बाद आपके बिज़नेस से जुड़ी सभी जानकारी बैंक की जानकारी, कोई भी ऑनलाइन फ्रॉड आदि को भी अपराधी अंजाम देते हैं. साइबर क्राइम के तहत अपराधी आपकी निजी पहचान तक चुरा लेते हैं और इसी अपराध के तहत छोटे बच्चों को भी गलत मार्गदर्शन प्रदान करते हैं. इन सबके अलावा कुछ अपराधी ऐसे भी होते हैं जो साइबर क्राइम के तहत देश में नफरत फैलाने का काम भी करते हैं.
सामान्य तौर पर साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले अपराधी कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं जिसमें वे कुछ गैरकानूनी तरीके से कुछ लोगों के कंप्यूटर व उनके सॉफ्टवेयर हैक कर लेते हैं या फिर उन्हें ट्रैक करके उनके कंप्यूटर में मौजूद सभी जानकारी को चुरा लेते हैं. वे उस व्यक्ति के बैंक अकाउंट की सभी जानकारी चुराकर उनके बैंक से पैसा तक का गबन कर लेते हैं.
स्मार्टफोन बना मुसीबत?
स्मार्टफोन यूजर्स हमेशा इन साइबर अपराधियों के निशाने पर रहते हैं. हालांकि, मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनियां एंड्रॉयड और एप्पल स्मार्टफोन के लिए लगातार सिक्योरिटी अपडेट जारी करते हैं, जो यूजर को साइबर हमलों से बचाते हैं. एप्पल के डिवाइसेज एंड्रॉइड स्मार्टफोन के मुकाबले ज्यादा सिक्योर माने जाते हैं, लेकिन साइबर अपराधी इनमें भी सेंध लगाने से बाज नहीं आते हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें आईफोन के बड़े सिक्योरिटी रिस्क के बारे में आगाह किया गया था.
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने एप्पल डिवाइसेज के लिए एक नया मेलवेयर (खतरनाक वायरस) तैयार किया है, जो सिस्टम में जाकर यूजर की निजी जानकारियां चुरा लेता है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि साइबर अपराधी इस खतरनाक वायरस को लोकप्रिय इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर खुले आम बेच रहे हैं. टेलीग्राम के एक चैनल पर बेचे जाने वाले इस वायरस का नाम AMOS है. यह वायरस यूजर के सिस्टम से पासवर्ड, वॉलेट, जन्मतिथि, पता, ऑटो-फिल जानकारियां आदि आसानी से चुरा सकता है और यूजर को कानों-कान खबर भी नहीं लगेगी.
खुलेआम हो रही बिक्री
साइबर रिसर्च फर्म....CRIL (Cyber Research and Intelligence Labs) ने इस खतरनाक वायरस का पता लगाया है. साइबर रिसर्चर्स ने बताया कि हैकर्स न सिर्फ इस वायरस को खुलेआम बेच रहे हैं, बल्कि समय-समय पर इसे अपग्रेड भी कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके.. टेलीग्राम चैनल पर AMOS वायरस को 1000 डॉलर यानी लगभग ₹82,000 की कीमत में बेचा जा रहा है. हैकर्स द्वारा बनाया गया यह AMOS वायरस सिस्टम में .dmg फाइल को इंस्टॉल कर देता है और जानकारियां चुराने लगता है.
चुराते हैं निजी जानकारियां
साइबर अपराधियों ने इस वायरस के लेटेस्ट वर्जन को 25 अप्रैल को टेलीग्राम चैनल पर अपलोड किया है. चैनल पर इस वायरस के फीचर्स को हाईलाइट करके प्रमोट किया जा रहा है. साइबर विशेषज्ञों की मानें तो यह वायरस लैपटॉप, कम्प्यूटर या स्मार्टफोन से की-चेन, पासवर्ड, कम्प्लीट सिस्टम इंफॉर्मेशन, डॉक्यूमेंट फोल्डर्स, फाइल्स और पासवर्ड आदि की जानकारियां इकट्ठा करता रहता है. इसके अलावा यह वेब ब्राउजर से ऑटो-फिल, पासवर्ड, कूकीज, वॉलेट और क्रेडिट कार्ड आदि की जानकारी भी चुरा सकता है.
टेलीग्राम के अलावा साइबर क्रिमिनल्स यूजर्स की निजी जानकारियों को डार्क वेब पर बेचते हैं. डार्क वेब पर हर साल लाखों भारतीय यूजर्स के निजी डेटा बेचे जाते हैं, जिसे साइबर अपराधी हथियार बनाकर वित्तीय धोखाधड़ी या फ्रॉड को अंजाम देते हैं. यूजर्स के डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर उन्हें टारगेट किया जाता है. यूजर की छोटी से छोटी गलती भी लाखों का चूना लगा सकती है.
कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के जरिए अपराध को अंजाम
साइबर अपराधी यूजर्स की निजी जानकारियां चुराने के लिए आम तौर पर कॉल्स और SMS के अलावा ई-मेल, इंस्टैंट मैसेजिंग जैसे कम्युनिकेशन माध्यम का इस्तेमाल करते हैं. यूजर्स को प्रमोशनल मैसेज और कॉल्स के जरिए झांसे में फंसाया जाता है. इसके बाद साइबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है. इसके अलावा यूजर को गूगल या अन्य सर्च इंजन पर किए गए वेब सर्च के आधार पर टारगेट किया जाता है. यूजर गलती से कभी-कभी कोई गलत लिंक ओपन कर लेते हैं, जिसके जरिए यूजर के डिवाइस में वायरस पहुंच जाते हैं. एक बार किसी डिवाइस में वायरस पहुंच जाता है, तो वो डेटा माइनिंग यानी निजी डेटा की चोरी करना शुरू कर देता है. डेटा चोरी करके उसे डिवाइस से रिमोट सर्वर के जरिए हैकर्स के पास भेजा जाता है. हैकर्स बाद में इन डेटा को डार्क वेब पर बेच देते हैं. यह तरीका लगातार चलता रहता है और आम यूजर्स को इसकी भनक तक नहीं लगती है.
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने कुछ महीने पहले टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो को फर्जी कॉल्स और मैसेज पर रोक लगाने के लिए AI बेस्ड फिल्टर लगाने का निर्देश किया है. कुछ टेलीकॉम कंपनियों ने इसकी टेस्टिंग भी शुरू कर दी है. प्राधिकरण को कहा है कि फर्जी कॉल्स और मैसेज के जरिए हर महीने करीब 1,000 से लेकर 1,500 करोड़ की धोखाधड़ी की जा रही है. साइबर अपराध से बचने के तरीके ज्यादातर साइबर अपराध के मामलों में यूजर्स की कॉमन गलती होती है. साइबर अपराधी यूजर्स को अपने झांसे में आसानी से फंसा लेते हैं और अपराध को अंजाम देते हैं. ज्यादातर यूजर्स के साथ फ्री प्रोडक्ट, पैकेज, प्रमोशन आदि का लालच देकर धोखाधड़ी की जाती है. फ्री के लालच में यूजर्स अपनी निजी जानकारियां यहां तक की वन टाइम पासवर्ड (OTP) और निजी डॉक्यूमेंट्स भी शेयर कर देते हैं.
इस तरह के अपराध से बचने के लिए अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि को समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए. ऐसा करने से डिवाइस से होने वाली डेटा चोरी को रोकने में मदद मिलती है.
अपनी निजी जानकारियां जैसे कि बैंकिंग डिटेल्स, जन्म-तिथि, पासवर्ड आदि किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए.
किसी भी अंजान नंबर से आने वाले कॉल्स और मैसेज को इग्नोर करना चाहिए और ई-मेल या अन्य ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से मिलने वाले लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए.
भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक, कभी भी अपने डॉक्यूमेंट्स किसी एजेंट के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. इसके लिए OTP बेस्ड वेरिफिकेशन प्रक्रिया को पूरी करनी चाहिए.
सबसे बड़ा सवाल......भारत में साइबर क्राइम अधिक होने की वजह क्या है
कोई भी अपराध तब जन्म लेता है जब हमें उस अपराध से जुड़ी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है. तो ऐसे में साइबर क्राइम को और अधिक बढ़ावा मिलता है और कुछ लोगों को तो यह भी नहीं पता चलता कि वह साइबर क्राइम का शिकार हो चुके हैं. आज के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल तो प्रत्येक व्यक्ति भरपूर करता है. परंतु साइबर क्राइम के प्रति जागरूक ना होने की वजह से साइबर क्राइम का शिकार अधिकतर महिलाएं ही बनती हैं. भारत के आंकड़ों के अनुसार देखा जाए तो भारत की एक तिहाई महिलाएं साइबर क्राइम का शिकार बन चुकी है जिनमें से 35 फ़ीसदी महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने अपने ऊपर हुए साइबर क्राइम की शिकायत दर्ज कराई है. इसके अलावा कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने अब तक अपने ऊपर हुए साइबर क्राइम की कोई भी शिकायत कहीं पर दर्ज नहीं कराई है उन आंकड़ों के तहत 46.7 फ़ीसदी महिलाएं इस आंकड़े में आती हैं. चौका देने वाली बात तो यह है कि 18.3 फ़ीसदी महिलाएं ऐसी भी है जिनके साथ साइबर क्राइम हुआ है लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं है. यह अपराध आज के समय में अपने चरण तक पहुंच चुका है और इसका सबसे बड़ा कारण है साइबर क्राइम के प्रति जागरूक ना होना.
चलिए यह मान लिया गया कि इंटरनेट के बिना कोई काम नहीं हो सकता है लेकिन सावधानी बरतें बिना कोई काम करना आपके लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है. इसलिए हम आपको कुछ उपाय भी बता रहे हैं जिसे आप अपने जीवन में अपनाएंगे तो आप कभी भी साइबर क्राइम का शिकार नहीं हो पाएंगे.
एक सुरक्षित इंटरनेट सेवा का ही उपयोग करें
मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें
अपने सॉफ्टवेयर को अपडेट रखें
अपनी सोशल मीडिया की सेटिंग प्रतिबंधित रखें
अपने बच्चों को इंटरनेट के बारे में बताएं
अपनी वेबसाइट का ध्यान रखें
पने निजी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करने से बचें
भारत में साइबर क्राइम मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. सरकार ऐसे मामलों को लेकर बहुत गंभीर है. भारत में साइबर क्राइम के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 लागू होते हैं. मगर इसी श्रेणी के कई मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून और यहां तक कि आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है.
अब आइए जान लेते हैं साइबर क्राइम से पीड़ित होने के बाद क्या करना चाहिए?
भारत में होने वाले साइबर क्राइम की मुख्य जड़
झारखंड राज्य में स्थित 1 जिले का नाम जामताड़ा है. इस जिले को भारत में होने वाले प्रत्येक साइबर क्राइम का गुनाहगार माना जाता है. भारत के अब तक 80 फ़ीसदी साइबर क्राइम होने की वजह से इस जिले में रहने वाले लोगों को माना जाता है. ऐसा बताया जाता है कि जामताड़ा में रहने वाले इन लोगों ने साइबर क्राइम की शुरूआत साल 2013 से की थी. यह लोगों को एक फोन कॉल के जरिए ठग लिया करते थे जिसका पता पुलिस को चलते ही वे इस जिले के कई अपराधियों को तो गिरफ्तार कर चुके हैं परंतु आज भी वहां पर कुछ लोग ऐसे हैं जो मिनटों में आपके खाते से पैसा गायब करने में माहिर हैं.
जामताड़ा के रहने वाले ठग आपको कॉल करके आपके अकाउंट से जुड़े सभी डिटेल आपको बातों में उलझा कर प्राप्त कर लेते हैं और उसके बाद आपके बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा ले जाते हैं. उनकी ठगी का शिकार आज तक बहुत बड़े-बड़े दिग्गज अभिनेता और नेता भी बन चुके हैं जिनमें बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी, सांसद परनीत कौर, केंद्रीय मंत्री, और केरल के एक सांसद आदि.
आज के समय में साइबर क्राइम से बचना जितना आसान है उतना ही साइबर अपराध को अंजाम देना भी आसान है बस आपकी छोटी सी सतर्कता आपको साइबर क्राइम से बचा सकती है. इसलिए सदैव इंटरनेट से जुड़ी किसी भी जानकारी का इस्तेमाल करने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से जांच पड़ताल अवश्य कर ले. आपकी एक छोटी सी गलती आपको एक बहुत बड़े जाल में फंसा सकती है और हमेशा के लिए आपको बर्बाद भी कर सकती है.