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साइबेरियन पक्षी से गुलजार हुआ दानापुर आर्मी कैंट..

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Danapur-राजधानी पटना से सटे दानापुर का मिलिट्री कंटोमेंट एरिया साइबेरियन क्रेन के पहुंचने से गुलजार हो गया है अपने दोनो पंख फैलाकर फिजा में खूबसूरती बिखेर रहे साधारण सी दिखने वाले पक्षियों की कई खासियत है. इनमे  साइबेरियन क्रेन हर साल सात समंदर पार हजारो किलोमीटर से महीनों का लंबा सफर तय कर बिहार की राजधानी पटना पहुंचते हैं। राजधानी के दानापुर में इनका ठिकाना सेना क्षेत्र इलाका रहता है। सबसे खास बात यह है कि यह मानसून के पहले ही यहां पहुंच जाते हैं, इसलिए इन्हें बिहार में मानसून का सूचक माना जाता है। लोग हर साल इनका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

लोग इसे  साइबेरियन क्रेन, जांघील, ओपेन बिल स्टोर्क अन्य कई नाम से पुकारते हैं. ये पक्षी प्रवास करने मानसून में रूस के साइबेरिया  से बिहार आते हैं। अंग्रजों के जमाने से ही दानापुर पहुंचते रहे हैं और सेना क्षेत्र के पेड़ों पर अपना ठिकाना बनाते रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन्हें यहां अपनी सुरक्षा का अहसास होता है। बगल में बहती पावन गंगा नदी की धारा से यह अपना भोजन पानी आसानी से जुटा लेते हैं। यहां महीनों रहकर प्रजनन करते हैं और अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के बाद यहां से वापस रूस के साइबेरिया के लिए उड़ जाते हैं।

रिटायर ब्रिगेडियर अमरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि कैंट एरिया दानापुर 1963 में स्थापित हुआ था उसी समय साइबेरिया क्रेन को सब एरिया का पहचान चिन्ह बनाया गया था साइबेरियन क्रेन 1963 से 1971 तक आर्मी का प्रतीक चिह्न रहा है। इन पक्षियों के आगमन से जहां पूरा दानापुर छावनी क्षेत्र गुलजार हो गया है, वहीं मानसून के आने की दस्तक से लोग काफी खुश हैं। अब तो लोगों को बस इंतजार है तो बस झमाझम होने वाली लगातार बारिश की, जो इस प्रचंड गर्मी से निजात  दिला सके।यही वजह है कि इसकी सुरक्षा के लिए आर्मी की तरफ से भी ध्यान दिया जाता है इन पक्षियों के लिए एक कोहिनूर पार्क भी बनाया गया है.

दानापुर से पशुपति की रिपोर्ट 

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