बिहार के चर्चित और कड़क IAS अधिकारी व शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं. मुज़फ्फरपुर स्थित जिला न्यायालय में उनके विरुद्ध एक केस में न्यायिक जांच शुरू कर दी गई है. ये मामला हत्या से जुड़ा है. मर्डर के इस पुराने मुकदमे में केके पाठक पर संगीन आरोप लगे हैं जिसके तहत कोर्ट ने शनिवार को परिवादी का बयान दर्ज किया.
बिहार सरकार में पूर्व उत्पाद आयुक्त रहे केके पाठक और वर्तमान गृह सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव के अलावा कई अधिकारी संकट में हैं. इनमें विशेष सचिव विधि बिहार पटना ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव और प्रभुनाथ सिंह निदेशक अभियोजन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का परिवाद दायर हुआ है. इस परिवाद को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट में दायर किया गया है.
दरअसल मामला करीब डेढ़ साल पुराना है. मामला मद्य निषेध के विशेष लोक अभियोजक बजरंग प्रसाद की मौत से जुड़ा है. 23 जनवरी 2022 को जब के के पाठक बिहार में उत्पाद एवम मद्य निषेध विभाग के मुख्य सचिव हुआ करते थे उस दौरान एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मीटिंग के दौरान मुजफ्फरपुर उत्पाद न्यायालय के स्पेशल पीपी बजरंग प्रसाद सिंह को उन्होंने काफी बुरा भला कह डाला था. मीटिंग अटेंड करने की रात ही बजरंग प्रसाद सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.
अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने सभी आरोपियों पर दर्ज परिवाद में मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए परिवाद दायर किया था. अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने बताया कि 29 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुलिस और शराब माफियाओं की गठजोड़ को लेकर बातचीत हुई. इसमें आरोपी सभी अधिकारियों ने बजरंग प्रसाद को टॉर्चर किया.
सुधीर ओझा के मुताबिक अभियोजक बजरंग प्रसाद को काफी जलील किया गया. उनके साथ गाली-गलौज तक की गई. मानसिक रूप से उन्हें टॉर्चर किया गया. इससे बजरंग प्रसाद काफी तनाव में चले गए और उसी रात उनकी मृत्यु हो गई. जिसे लेकर उन्होंने यह परिवाद दायर किया. शनिवार को परिवाद की सुनवाई के दौरान के दौरान परिवादी सुधीर कुमार ओझा का बयान दर्ज किया गया और अन्य गवाहों के बयान के लिए 8 नवंबर की तिथि दी गई है.
गैर इरादतन हत्या के इस पुराने मामले में न्यायालय के द्वारा न्यायिक जांच शुरू होने से केके पाठक कि मुश्किलें बढ़ गई हैं. ध्यान रहे कि पूर्व में बिहार में शराबबंदी की बिगड़ती व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने इसकी कमान केके पाठक के हाथों में सौंपी थी. केके पाठक एक कड़क अधिकारी माने जाते हैं. आरोप है कि केके पाठक ने उत्पाद विभाग के बजरंग प्रसाद को इतना डांटा और फटकार लगाई कि सदमे में उनकी मौत हो गई. सुधीर कुमार ओझा के मुताबिक ये गुनाह है जिसकी सजा मिलनी चाहिए. आप अधिकारी हैं इसका मतलब ये नहीं कि किसी को भी टॉर्चर कर सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान ले लिया है.
इस घटना के बाद मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा के मुताबिक अभियोजक बजरंग प्रसाद को काफी जलील किया गया. उनके साथ गाली-गलौज तक की गई. मानसिक रूप से उन्हें टॉर्चर किया गया. इससे बजरंग प्रसाद काफी तनाव में चले गए और उसी रात उनकी मृत्यु हो गई. जिसे लेकर उन्होंने यह परिवाद दायर किया. शनिवार को परिवाद की सुनवाई के दौरान पारिवादी सुधीर कुमार ओझा का बयान दर्ज किया गया और अन्य गवाहों के बयान के लिए 8 नवंबर की तिथि दी गई है.
मालूम हो कि केके पाठक वर्तमान में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं और अपने कड़े तेवर के कारण वो फिर इन दिनों सुर्खियों में हैं. शिक्षा विभाग की कमान मिलते ही उनकी भिड़ंत विभाग के मंत्री चंद्रशेखर से काफी लंबे समय तक चली थी जिसे सीएम के हस्तक्षेप से समाप्त कराया गया था.