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नीतीश कुमार का बड़ा एक्शन, आलोक मेहता मामले में पर्दे के पीछे लालू-तेजस्वी या फिर कोई और बात?

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार देर शाम अचानक से राजस्व भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता के द्वारा किए गए विभागीय तबादले को रद्द कर दिया था. इसके बाद बिहार की सियासत में सरगर्मी तेज हो गई और चर्चा तेज हो गई कि क्या महागठबंधन में ऑल इज वेल नहीं है? बिहार के सियासी गलियारों में नीतीश कुमार के इस फैसले की वजह खोजी जाने लगी. तेजस्वी यादव के बेहद नजदीकी माने जाने वाले आलोक मेहता के फैसले को पलटने का मतलब क्या कुछ बड़ा है? लेकिन, इन तमाम सवालों का जवाब देने खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगे आए और उन्होंने इसकी वजह भी बताई, और वह भी तेजस्वी यादव के सामने.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपने ठीक बगल में खड़ा कर राजस्व विभाग के ट्रांसफर को रोकने पर कहा कि ट्रांसफर को लेकर नियम के अनुसार काम हो रहा है. ट्रांसफर को लेकर विभाग को जानकारी दी जाती है. ट्रांसफर को लेकर कुछ बातें विभागीय चल रहीं थीं, इसलिए उसे रोका गया है, और कोई बात नहीं है. ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर महागठबंधन में कुछ विवाद की जो भी बातें हो रहीं हैं, मुख्यमंत्री ने उसका पुरजोर खंडन भी किया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब ये बाते बोल रहे थे उनके साथ तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. उनसे भी पत्रकारों ने यह सवाल पूछा कि महागठबंधन में कोई दिक्कत है, क्या इस कारण से ट्रांसफर पोस्टिंग रोके जा रहे हैं? इसका तेजस्वी यादव ने भी जोरदार खंडन किया और लगातार चल रही बातों पर विराम लगाने की कोशिश की. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर जोर देकर कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग की बात को राजद-जदयू संबंधों से जोड़ने की बात सही नहीं है, फिर से ट्रांसफर पोस्टिंग की नई सूची बनेगी और वो जारी होगा.

दरअसल, राजस्व भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने बड़े पैमाने पर विभाग में तबादले किए थे, जिसे लेकर काफी विवाद था. उनके फैसले पर सवाल खड़े किए जा रहे थे और कहा जा रहा था कि तबादले में नियमों का ध्यान नहीं रखा गया. बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गईं हैं. जूनियर्स को अच्छी पोस्टिंग दी गई और तेज तर्रार अधिकारियों को हाशिए पर धकेला गया. साथ ही आलोक मेहता की शिकायत राजद के विधायक दल की बैठक में आरजेडी के कई विधायकों ने भी की थी. बताया जा रहा है कि तब तेजस्वी यादव ने इसके लिए आलोक मेहता को झिड़की भी लगाई थी. आखिरकार इन वजहों से तबादला रद्द कर दिया गया.

वहीं, बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार समय पर होगा इस संबंध में बात करके उसे पूरा कर लिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने मुस्कुराते हुए तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसकी जानकारी आप लोगों को उपमुख्य मंत्री दे देंगे. हम तो देश को एकजुट करने में जुटे हुए हैं. बिहार में कोई समस्या ही नहीं है, कभी भी मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा.

आपको बता दें कि मंगलवार की शाम एक नोटिफिकेशन जारी कर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में बड़े पैमाने पर हुए ट्रांसफर पोस्टिंग को रद्द कर दिया गया था. इश विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता हैं. उनके विभाग ने 30 जून की रात ताबड़तोड़ ट्रांसफर-पोस्टिंग के पांच आदेश जारी किये थे. इनमें 517 पदाधिकारियों के तबादले की अधिसूचना जारी की गयी थी. 30 पदाधिकारियों को अपने मूल कैडर में वापस भेजा गया था. बाकी 487 अधिकारियों को बिहार के अलग अलग अंचलों में पोस्टिंग की गयी थी. इनमें सबसे ज्यादा 395 अंचलाधिकारी यानि सीओ की ट्रांसफर पोस्टिंग की गयी थी.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए बड़े खेल की शिकायत नीतीश कुमार को मिली थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच करायी थी. जांच में जब गड़बड़ी की पुष्टि हुई तो सीएम कार्यालय से सख्त दिशा निर्देश दिये गये थे. इसके बाद कल राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने खुद अधिसूचना जारी की. इसमें 30 जून को जारी ट्रांसफर पोस्टिंग की अधिसूचना को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है. विभाग की अधिसूचना में कहा गया कि बिहार सरकार के राजस्व पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, सहायक चकबंदी पदाधिकारी जैसे पदों पर 30 जून को किया गया तबादला निरस्त किया जाता है.

दरअसल, बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक साल के जून महीने में मंत्रियों को ये अधिकार होता है कि वह अपने विभाग के पदाधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं. इसके अलावा किसी दूसरे महीने में ट्रांसफर पोस्टिंग करने पर उसकी मंजूरी मुख्यमंत्री से लेनी होती है. जून महीने के आखिरी दिन मंत्री आलोक कुमार मेहता के विभाग में ताबड़तोड़ ट्रांसफर पोस्टिंग की नोटिफिकेशन निकाली गयी.

बताते चलें कि राज्य सरकार का नियम है कि किसी पदाधिकारी की पोस्टिंग एक स्थान पर तीन साल के लिए करनी है. बहुत विशेष परिस्थिति में ही 3 साल से पहले किसी अधिकारी की ट्रांसफर पोस्टिंग करना है. लेकिन आलोक मेहता ने बिहार के लगभग 75 परसेंट सीओ का एक झटके में ट्रांसफर कर दिया. इनमें से ज्यादातर ऐसे थे जिनकी पोस्टिंग के तीन साल नहीं हुए थे. हद तो ये था कि 6 महीने-एक साल पहले जिसकी पोस्टिंग हुई थी, उसका भी ट्रांसफर कर दिया गया. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए कारनामे की चर्चा पूरे प्रशासनिक और सरकारी महकमे में आम थी. चर्चा तो ये हो रही थी कि खेल 100 करोड़ से ज्यादा का है. इस बीच कई विधायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीओ की ट्रांसफर पोस्टिंग की शिकायत की थी. जुलाई के पहले सप्ताह में ही नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए ट्रांसफर पोस्टिंग की फाइल अपने पास मंगवायी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय ने पूरे तबादले की जांच करायी थी. 

इस पूरे मामले पर जदयू नेता अशोक चौधरी ने कहा है कि इस मुद्दे पर सवाल उठाना उचित नहीं है. मंत्री आलोक मेहता जून के अंतिम सप्ताह में वो लंबे समय के लिए बीमार हो गए थे. इस वजह से बहुत से पॉलिसी में पारदर्शिता नहीं हो पाई है. इसको लेकर मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता के साथ इसको तैयार कीजिए. आलोक मेहता के व्यक्तित्व पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. पारदर्शिता के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग का नया लिस्ट बनाने का सीएम ने निर्देश दिया है. यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. आलोक मेहता जल्द इसे कर लेंगे.

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है....राजद के दबाव में नीतीश कुमार काम कर रहे हैं.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता लालू और तेजस्वी के खास माने जाते हैं. ऐसे में सीएम नीतीश कुमार ने आलोक मेहता के तबादले के आदेश को रद्द कर यह साबित किया है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई थी.

अब सीएम नीतीश कुमार ने राजद के दूसरे मंत्री पर गाज गिरायी है. दोनों तेजस्वी यादव के बेहद करीबी मंत्री माने जाते हैं. इससे पहले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विभाग में केके पाठक को बिठा कर उन्हें ठीक किया गया. शिक्षा विभाग में केके पाठक के जाने के बाद हाल ये हुआ कि जून महीने में मंत्री चंद्रशेखर कोई ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं कर पाये. सरकारी महकमे में चर्चा यही है कि ट्रांसफर पोस्टिंग का इरादा पूरा नहीं होने के बाद ही मंत्री चंद्रशेखर बौखलाये थे. उनके पास ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए 200 से ज्यादा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों और दर्जनों जिला शिक्षा पदाधिकारियों की लिस्ट तैयार थी. लेकिन केके पाठक ने सारी प्लानिंग फेल कर दी. तभी जून महीना बीत जाने के बाद जुलाई में मंत्री चंद्रशेखर के सब्र का बांध टूट गया था.

गौरतलब है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में यह पहला मौका नहीं है जब कि मंत्री के आदेश को खारिज किया गया है....इसके पहले एनडीए सरकार में यह विभाग बीजेपी के पास था तब राम सूरत राय इस विभाग के मंत्री थे और 500 कर्मियों के तबादले का आदेश दिया था, जिसे सीएम नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया था. पिछली सरकार में भी इस विभाग में हुए तबादलों को रद्द किया गया था. यह विभाग तबादले को लेकर शुरू से ही विवादों में रहा है.

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