सरकार कई बार ये दावा करती है कि बिहार में विकास की गंगा बह रही है. लेकिन, कभी ना कभी सभी दावों की पोल खुल ही जाती है. जिसके बाद प्रतीत होता है कि बिहार में विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. दरअसल, इसका जीता जागता उदाहरण सारण जिले में देखने के लिए मिला. जहां के ताजपुर में दहा नदी पर बने पुल की स्थिति महज 13 वर्षों में ही जर्जर व भयावह हो चुकी है.
पुल में जगह-जगह दरारें पड़ जाने के कारण वर्षों पहले जिला के वरीय अधिकारियों के निर्देश पर सुरक्षा की दृष्टि से विभाग द्वारा पुल पर बड़े वाहनों के आगमन पर रोक लगा दी गई थी. साथ ही पुल के दोनों तरफ बैरिकेडिंग कर दी गई थी. लेकिन, पुल के निर्माण या मरम्मती की दिशा में विभाग द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए. बड़े वाहनों के आवागमन पर रोक लगने से ताजपुर से सिवान के लिये चलने वाले बड़े वाहन पहले इस पुल के रास्ते चला नहीं करते थे.
लेकिन, अब बड़े वाहन इस टूटे पुल के रास्ते जिला प्रशासन द्वारा लगाये गए बैरिकेडिंग को अनदेखा कर चलने लगे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि, शाम के समय पुल के दोनों तरफ दर्जनों की संख्या में मुर्गा, मीट और मछली की दुकानें सज जाती है. जिसके कारण पुल पर खरीददारों की भीड़ सैकड़ों की संख्या में लगी रहती है. लोग कहते हैं कि, स्वच्छ-सुंदर पुल पर कचड़ा फैला हुआ रहता है. गंदगी फैला रहने से लोगों का पुल पर आना-जाना मुनासिब हो गया है. वहीं, स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बनी हुई है.