बिहार होम गॉर्ड और फायर बिग्रेड की डीजी शोभा अहोतकर फिर विवादों में आ गई हैं. कुछ महीने पहले आईपीएस विकास वैभव से हुआ इनका विवाद अभी सही तरीके से लोगों की जेहन से उतरा ही नहीं तभी बिहार होमगार्ड की डीआईजी अनुसुइया रणसिंह साहू ने शोभा अहोतकर के खिलाफ आरोप लगाकर सरकार को पत्र लिख दिया. अब उनको यह पत्र लिखना महंगा पड़ गया और अब डीआईजी अनुसुइया रणसिंह साहू का तबादला कर दिया गया है.
बता दें कि बिहार गृह रक्षा वाहिनी और अग्निशमन सेवा की डीजी शोभा अहोतकर से विवाद के बाद डीआईजी अनुसुइया रणसिंह साहू का तबादला कर दिया गया है. दरअसल, अनुसुइया रणसिंह ने डीजी शोभा अहोतकर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था और सरकार को एक पत्र भी लिखा था. जिसके बाद गृह विभाग ने डीआईजी अनुसुइया रणसिंह का तबादला उप निदेशक नागरिक सुरक्षा के पद पर कर दिया है.
मालूम हो कि होम गार्ड और फायर ब्रिगेड में महिला आईपीएस अधिकारियों के बीच तनातनी पिछले 6 महीने से लगातार देखने को मिल रही है. इस बारे में डीआईजी अनुसुइया रणसिंह साहू के विरुद्ध आरोपों का पुलिंदा गृह विभाग को भेजा. डीजी शोभा अहोतकर ने मार्च से सितंबर के बीच छह अलग-अलग पत्र गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजे. डीजी शोभा अहोतकर ने मार्च से सितंबर के बीच छह अलग-अलग पत्र गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजे हैं. इसके बाद अब इनका तबादला कर दिया गया है.
इससे पहले, डीआईजी अनुसूया रणसिंह साहू ने डीजी शोभा ओहटकर पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर त्राहिमाम संदेश लिखा था. तेरह पन्ने के पत्र में डीआईजी ने आरोप लगाया है कि टेंडर में गड़बड़ी का मामला उठाए जाने के बाद से डीजी उन्हें प्रताडि़त कर रही हैं और सुनियोजित तरीके से फंसाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है.
उधर, डीजी शोभा अहोतकर ने डीआईजी अनुसूइया के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि कार्रवाई से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है. इसके साथ ही , डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू के विरुद्ध बिना सूचना अवकाश पर जाने और लंबे समय तक कार्यालय से गायब रहने का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही अवकाश के दौरान सरकारी वाहन और सुविधा का दुरुपयोग करने का आरोप. सुनियोजित साजिश कर कार्यालय और विभाग की छवि धूमिल करने का आरोप. महिला होमगार्ड के आरोप की जांच कर गलत रिपोर्ट देने व आरोपित की मदद का आरोप. आईजी के कार्यालय में जाकर दुर्व्यवहार करने व झूठे आरोप में फंसाने की धमकी देने का आरोप. अपने स्थानांतरण के लिए नियंत्री पदाधिकारी पर दबाव डालने का आरोप भी लगाए गए थे.