इमामगंज विधानसभा उपचुनाव में एनडीए प्रत्याशी दीपा मांझी ने परिवारवाद के आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने समाजसेवा के क्षेत्र में मेरे लंबे संघर्ष और शिक्षा-दीक्षा को देखते हुए उम्मीदवार बनाया है, जबकि इसी प्रदेश में बिना किसी संघर्ष के चूल्हा-चौका से उठाकर सीधे मुख्यमंत्री बना दिये जाने की मिसाल है । प्रावैधिकी एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डाक्टर संतोष कुमार सुमन की पत्नी दीपा मांझी ने कहा कि वे क्षेत्र की सेवा लंबे समय से करती रही हैं, इसलिए चुनाव जीतना कोई चुनौती नहीं, बल्कि यह लोगों के बीच जाने और बेहतर काम करने का अवसर है। भूदान और सर्वोदय आंदोलन से प्रभावित दीपा मांझी ने कहा कि विवाह से पहले वह गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के अपने गांव 'बापू ग्राम' में महिलाओं की शिक्षा के लिए लगातार काम करती रहीं। उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि उनका विवाह एक ऐसे राजनीतिक और समाजसेवी परिवार में हुआ, जहाँ बहू-बेटी को भी आगे बढने का अवसर दिया जाता है। छात्र जीवन के दौरान गया के नक्सल प्रभावित इलाकों में बच्चों की शिक्षा और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए साइकिल- मोटर साइकिल से पहुंचने वाली निर्भीक दीपा मांझी ने कहा कि उनको टिकट देकर पार्टी ने दलित समाज की एक पढ़ी-लिखी महिला का सम्मान किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनके ससुर और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इमामगंज के विकास के लिए जो काम किये उसे आगे बढाने के लिए जनता इस चुनाव में उन्हें भरपूर आशीर्वाद देगी।
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